अगर किसान भाई खेती की खेती करना चाहते हैं और इससे मुनाफा कमाना चाहते हैं, तो आज मैं आपको इसी के बारे में पूरी जानकारी देने वाला हूं। मात्र 3 महीना के अंदर अंदर ही यह पैदावार के लिए तैयार हो जाती है और आप इसे मार्केट में बेचकर पैसा कमा सकते हैं।
हमारे देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी इसकी मांग बढ़ती ही जा रही है खासकर गर्मियों के मौसम में इसका इस्तेमाल सलाद के रूप में किया जाता है और कई अन्य सौंदर्य प्रसाधन में भी इसका इस्तेमाल किया जाता है।
यदि आप किसान भाई अगर आपको खीरे की खेती करने का मन बना है, तो यहाँ आपको खीरे की खेती कैसे करें और खीरे की खेती से कमाई के बारे में जानकारी मिलेगी। इसीलिए आप लेख में दी गई जानकारी को बिल्कुल भी मिस ना करें और शुरू से लेकर अंतिम तक ध्यान से जरूर पढ़ें।
भारत में खीरे की खेती का इतिहास
भारत में खीरे की खेती हजारों वर्षों से की जा रही है। यह भारतीय रसोई में महत्वपूर्ण है और स्वास्थ्य का भी एक बड़ा स्रोत है। खीरा भारत के विभिन्न हिस्सों में उच्चतम उत्पादकों में से एक है, जैसे उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान, महाराष्ट्र, गुजरात और कर्नाटक। खीरे को सलाद, अचार, सब्जी और अन्य तरीकों से इस्तेमाल किया जाता है।
भारत में खीरे की खेती (उत्पादन और सबसे ज्यादा कहां)
भारत में खीरे की खेती मुख्य रूप से महाराष्ट्र, गुजरात, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, और कर्नाटक में की जाती है। यहाँ उचित जलवायु और मृदा चयन किया जाता है, और खेती के लिए आलमा व्यवस्था की जाती है। तकनीकी उन्नतियों का उपयोग भी किया जाता है जैसे कि ड्रिप आईरिगेशन और हाइब्रिड बीजों का प्रयोग।
खीरे की खेती करने के लिए खेत को कैसे तैयार करें
खीरे की खेती करने के लिए खेत को तैयार करने के लिए निम्नलिखित कदम उपयोगी हो सकते हैं:
- खेत की तैयारी के लिए खेत को अच्छे से जोत कर अच्छे से खुरचना चाहिए ताकि जड़े अच्छे से फैल सकें।
- खीरे की उत्तम विकास के लिए मिट्टी को अच्छे से तैयार करें।
- मिट्टी में कंपोस्ट डालकर उसे अच्छे से मिलाएं ताकि खीरे को अच्छा पोषण मिल सके।
- खीरे को बुआई के लिए उचित मौसम और तापमान के अनुसार तैयार करें।
- खीरे की खेती करने के लिए मार्च-अप्रैल और जुलाई-सितंबर का समय बेस्ट माना जाता है।
- खीरे के बीज को अच्छे से खेत में बोएं। बीज की गहराई करीब 1-1.5 इंच होनी चाहिए।
- बीज के बाद उन्हें अच्छे से पानी दें ताकि उनका अच्छा विकास हो सके।
- खीरे का अच्छा उत्पादन हो सके इसके लिए आपको अपने खेतों में मिट्टी में कंपोस्ट या उर्वरक का इस्तेमाल जरूर करें।
खीरे की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी
ककड़ी की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी में निम्नलिखित गुण होने चाहिए:
- पीएच: pH स्तर 6.0 से 6.8 होना चाहिए।
- तापमान: बीज अंकुरण के लिए 30-35 डि. से. तथा पौधों की वृद्धि के लिये 32-38 डिग्री होना चाहिए।
- ड्रेनेज: अच्छी ड्रेनेज वाली।
- पोषण: इसमें नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, और पोटाशियम जैसे पोषक तत्व शामिल हैं।
- प्रकार: अच्छे जल निकास वाली दोमट एवं बलुई दोमट भूमि उत्तम मानी जाती है।
खीरे की खेती के लिए मौसम एवं जलवायु
ककड़ी की खेती के लिए उपयुक्त मौसम और जलवायु निम्नलिखित होते हैं:
- उपयुक्त मौसम:
- खीरे की उत्पादन ज्यादा तेजी से होता है जब तापमान 32-38 डिग्री सेल्सियस के बीच होता है। इस समय खीरे का स्वाद भी अच्छा रहता है।
- मानसून का मौसम खरे की खेती के लिए सबसे सही माना जाता है और इसी हिसाब से आपको इसकी खेती करनी चाहिए।
- सर्दियों के समय में इसकी खेती करना सही नहीं है, क्योंकि ठंडी जलवायु खीरे की उत्पादन और गुणवत्ता को प्रभावित कर सकती है।
- उपयुक्त जलवायु:
- खीरा एक गर्म जल में वायु वाले फसलों की सूची में आता है, इसलिए इसके लिए जलवायु गम होनी चाहिए।
- खीरा की फसल पर अधिक वर्षा या बदली छाये रहने से रोगों व कीटों का अधिक प्रकोप होता है।
खीरे की खेती करने के लिए सही बीज की मात्रा
खीरे की खेती के लिए बीज की उचित मात्रा आमतौर पर 1.5 से 2.0 क्विंटल (150 से 200 किलोग्राम) प्रति एकड़ होती है। बीज की आवश्यकता हर 1 एकड़ खेत के लिए 400 से 500 ग्राम होती है।
खीरे की उन्नत किस्मे की सूची
चलिए कुछ उन्नत किस्म के बारे में जान लेते हैं और इसकी जानकारी नीचे हमने बताई हुई है।
- भारतीय किस्में में: स्वर्ण अगेती, स्वर्ण पूर्णिमा, पूसा उदय, पूना खीरा, पंजाब सलेक्शन, पूसा संयोग, पूसा बरखा, खीरा 90, कल्यानपुर हरा खीरा, और कल्यानपुर मध्यम खीरा जैसी विविध उत्कृष्ट किस्में हैं।
- नवीनतम किस्में में: पीसीयूएच- 1, पूसा उदय, स्वर्ण पूर्णा, और स्वर्ण शीतल आदि मुख्य हैं।
- संकर किस्मों में: पंत संकर खीरा- 1, प्रिया, हाइब्रिड- 1, और हाइब्रिड- 2 आदि प्रमुख हैं।
- विदेशी किस्मों में: जैसे जापानी लौंग ग्रीन, चयन, स्ट्रेट- 8, और पोइनसेट जैसी प्रमुख किस्में हैं।
खीरे की बुवाई का समय और विधि
खीरे की बुवाई निम्नलिखित तरीके से की जा सकती है:
- समय:
- खीरे की बुवाई का समय मौसम और स्थान के आधार पर निर्भर करता है।
- अक्सर खीरे की बुवाई गर्मियों में ज्यादा अनुकूल होती है।
- सामान्यत: फरवरी से अक्टूबर तक बुवाई की जाती है।
- विधि:
- पहले पौधों को पूर्व तैयारी और उचित मात्रा में खाद देना चाहिए।
- पौधों को 12-18 इंच की दूरी पर लगाना चाहिए।
- सिंचाई और खाद की उचित देखभाल करनी चाहिए।
- समय-समय पर खरपतवार साफ करना और उचित मात्रा में पौधों को धूप मिले इसका ध्यान रखना।
खीरे की खेती की सिंचाई
खीरे की खेती में सिंचाई की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। यहाँ कुछ महत्वपूर्ण बातें हैं:
- बुवाई से पहले सिंचाई: खेत को तैयार करने से पहले पूरे खेत को पानी से भरपूर भिगो दें। इससे मिट्टी में नमी बनी रहती है और बीजों को उचित मौसम मिलता है।
- आधुनिक सिंचाई प्रणाली: स्प्रिंकलर या ड्रिप आईरिगेशन जैसी तकनीक का उपयोग करें। इससे पानी की बचत होती है और पौधों को उचित पोषण मिलता है।
- सिंचाई का ध्यान: पौधों को समान रूप से सिंचित रखने के लिए सिंचाई की व्यवस्था करें।
- समय पर सिंचाई: पानी की आवश्यकता के अनुसार सिंचाई करें।
- पोषण: सिंचाई के साथ-साथ पोधों को खाद्यान्न या उर्वरक भी दें।
खीरे की खेती के लिए सही मात्रा में खाद एवं उर्वरक
खीरे की खेती करने के लिए सही मात्रा में खाद एवं उर्वरक की जानकारी:
- खाद (Fertilizers):
- नाइट्रोजन (Nitrogen): खीरे की उचित ग्रोथ के लिए नाइट्रोजन महत्वपूर्ण है। खीरे की खेती के लिए यकृत्त में 100 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर (kg/ha) की मात्रा में नाइट्रोजन उपयुक्त होता है।
- फॉस्फेट (Phosphorus): खीरे की उचित विकास के लिए, खाद में फॉस्फेट की आवश्यकता होती है। यहां खीरे की खेती के लिए 50 kg/ha की मात्रा में फॉस्फेट उपयुक्त होता है।
- पोटाश (Potassium): खीरे की उचित पोषण के लिए, खाद में पोटाश की मात्रा भी महत्वपूर्ण है। खीरे की खेती के लिए 50 kg/ha की मात्रा में पोटाश उपयुक्त होता है।
- उर्वरक (Manure):
- खाद्य अपशिष्ट (Compost): खाद्य अपशिष्ट खीरे के पौधों के विकास के लिए अच्छा होता है। यह पौधों को पोषण प्रदान करता है और मिट्टी को सुषम बनाए रखता है।
- वर्मीकम्पोस्ट (Vermicompost): यह पौधों को पोषित करने में मदद करता है और मिट्टी की उपयोगिता बढ़ाता है।
- बायोफर्टिलाइजर (Biofertilizer): यह पौधों के पोषण को बढ़ाता है और पौधों को रोगों से सुरक्षित रखने में मदद करता है।
- नीम केक (Neem Cake): यह खीरे के पौधों को प्रदूषण के खिलाफ रक्षा प्रदान करता है और उन्हें पोषण प्रदान करता है।
खीरे की खेत के लिए निराई और गुड़ाई करने की प्रक्रिया
ककड़ी की खेती में निराई और गुड़ाई की प्रक्रिया इस प्रकार होती है:
- निराई प्रक्रिया:
- खीरे की खेत की बुआई मार्च या अप्रैल महीने में की जाती है। यह वह समय है, जब भूमि स्थिर होती है और उसमें कुछ गर्मी भी होती है।
- खेत की तैयारी के लिए, खीरे के लिए 1 मीटर दूरी पर खेत को खुदाई करनी चाहिए। खुदाई की गहराई लगभग 20-25 सेंटीमीटर होनी चाहिए।
- खुदाई के बाद, खेत में कच्चे खाद को छिड़कना चाहिए। कच्चे खाद के रूप में कास्टर खाद या गोबर का खाद उपयुक्त होता है।
- खेत में फुरोगे करके खीरे के बीज बोने जाते हैं। बीज की गहराई लगभग 2 सेंटीमीटर तक होनी चाहिए। बीज बोने के बाद, धरातल पर पानी की सिंचाई की जाती है।
- गुड़ाई और संबंधित काम:
- खीरे के पौधों में से कमजोर पौधों को निकाल देना चाहिए, ताकि मजबूत पौधे अच्छे से विकसित हो सकें।
- पौधों के बीच की दूरी को नियंत्रित रखना चाहिए ताकि पौधे एक दूसरे का सहारा ले सकें।
- पौधों के आसपास की जड़ें क्लिप की मदद से बंधी जाती हैं, ताकि पौधे स्थिर रहें और विकसित होने में मदद मिले।
- पौधों के निकट स्थित कीटाणुओं और पेड़ों को हटाने के लिए उचित रोग प्रबंधन की जरुरत होती है।
- पौधों की उचित सिंचाई भी जरुरी होती है, खासकर गर्मी के महीनों में।
खीरे की खेती में रोग और उनकी रोकथाम
- खीरा छिद्रक रोग (Cucumber Downy Mildew): पत्तियों पर काले छिद्र हो जाते हैं। रोकथाम: वेंटिलेशन और फंगाइसाइड का उपयोग।
- खीरे की धब्बेदारी (Cucumber Mosaic Virus): पत्तियों पर सफेद या पीले दाग। रोकथाम: स्वस्थ पौधों का चयन और संक्रमित पौधों को हटाना।
- खीरे के पत्तों पर पिलियां (Cucumber Yellow Vein Virus): पत्तों पर पिलियों का नेटवर्क। रोकथाम: संक्रमित पौधों को नष्ट करें और अच्छे पौधे उत्पन्न करें।
- खीरे के फलों पर खट्टी ब्रिटल रोट (Cucumber Fruit Sour Rot): फलों को प्रभावित करता है। रोकथाम: स्वच्छता और सही सिंचाई प्रबंधन।
- खीरे की लक्षणधारी धूम्राक्षिका (Cucumber Powdery Mildew): पत्ते पर सफेद लकड़ी का अवयव। रोकथाम: फंगाइसाइड का उपयोग और स्वच्छता।
खीरे की खेती में कटाई / तोड़ाई
खीरे मिर्च की खेती में कटाई या तोड़ाई का सही तरीका कुछ इस प्रकार होता है:
- खीरे की कटाई तकरीबन 60-70 दिनों में हो जाती है, जब पौधों पर फलों का आकार सही हो जाता है।
- खीरे को नियमित अंतरवाल पर कटने चाहिए।
- कटाई के लिए एक एचडीपी (हर्बीसाइड) या कियांथ्रेन (कटनाशक) का इस्तेमाल किया जा सकता है।
खीरे की खेती से कमाई
एक हेक्टेयर में खीरे की खेती करने में लगभग 2.5 – 3 लाख रुपये की खर्च आएगी। मान लीजिए कि आपको लगभग 600 क्विंटल खीरा होता है जिसे 20 रुपये किलो के हिसाब से बेच दिया जाए, तो आपकी लगभग 12 लाख रुपये की कमाई होगी। इस प्रकार आप अपनी निवेश को 4 गुना करके वापस पा सकते हैं।