चीकू की खेती की सम्पूर्ण जानकारी, चीकू की खेती करते समय इन बातो का रखें ध्यान

Written by Priyanshi Rao

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चीकू (Chiku fruit) अपने बेहद ही मीठे स्वाद की वजह से जाना जाता है। इसमें कई ऐसे पोषक तत्व पाए जाते हैं, जो मानव स्वास्थ्य के लिए लाभदायक हैं। चीकू में कार्बोहाइड्रेट, फाइबर, वसा, प्रोटीन, विटामिन सी, कैल्शियम, मैग्नीशियम, फॉस्फोरस, पोटेशियम जैसे पोषक तत्वों की मात्रा अधिक होती है। यही वजह है कि साल भर भारत में इस फल की मांग बनी रहती है। कई राज्यों में सफलतापूर्वक चीकू की खेती की जा रही है। वहीं कुछ लोगों को इसकी खेती (sapota farming) करने का सही तरीका नहीं पता।

आइये आज के इस ख़ास लेख में आपको बताते हैं कि चीकू की खेती (sapota farming) कैसे करना चाहिए?, आगे आपको इस बात की जानकारी भी दी गई है कि चीकू की खेती के लिए कैसे खेत की तैयारी करें?, इसके लिए उपयुक्त मिट्टी कौन सी है?, किस मौसम व जलवायु में चीकू अच्छी तरह से पनपता है?, चीकू की खेती से जुड़ी संपूर्ण जानकारी के बारे में आगे विस्तृत जानकारी दी गई है।

चीकू का इतिहास

चीकू का वैज्ञानिक नाम, Chiku ka vegyanik naam मनिलकारा जपोटा (Manilakara Zapota) है। प्राचीन समय से ही चीकू का पेड़ प्रकृति में उपलब्ध है। इसे एक सदाबहार प्रजाति माना जाता है। प्राचीन काल में इसकी लकड़ियों का इस्तेमाल जटिल नक्काशियों में किया जाता था। सबसे पहले चीकू का पेड़ दक्षिण अमेरिका में पाया गया था, इसलिए इसे वहां का मूल निवासी कहा जाता है। करीब 1000 वर्ष पूर्व इसकी पैदावार दक्षिणी मेक्सिको, मध्य अमेरिका और कैरेबियन देश में होना शुरू हुई थी और आज भी इसकी खेती विश्व के कई देशों बड़े क्षेत्र में हो रही है। आइये आपको चीकू की खेती से जुड़ी अन्य जानकारी के बारे में बताते हैं।

भारत में चीकू की खेती

sapota fruit farming in hindi: भारत में लंबे समय से चीकू की खेती (Chiku ki kheti) की जा रही है। देश में करीब 19वीं शताब्दी में चीकू की खेती प्रारंभ हुई थी और आज भी इसे व्यापक स्तर पर किया जा रहा है। भारत में चीकू (sapota farming in india) की सबसे अधिक उपज कर्नाटक, महाराष्ट्र, तमिलनाडु और बंगाल में होती है। इन राज्यों में बड़े क्षेत्रफल में चीकू की खेती (chiku ki kheti) की जाती है। भारत में चीकू उत्पादन के मामले में पहले स्थान पर तमिलनाडु है। चीकू की फसल के लिए तमिलनाडु की जलवायु को अच्छा माना गया है।

खेत की तैयारी

sapota fruit farming in hindi: चीकू के लिए खेत की तैयारी करने से पहले आपको कई सारी बातों का ध्यान रखना होता है। सबसे पहले आपको राज्य की जलवायु के अनुसार चीकू की किस्म का चयन करना होता है। कौन सी खाद का इस्तेमाल करें और कौन से रोग चीकू की खेती को बर्बाद कर सकते हैं। इन सभी बातों को ध्यान आपको रखना चाहिए। यह सभी महत्वपूर्ण जानकारी के बारे में आप आगे पढेंगे। इससे पहले जानते हैं कि चीकू की खेती के लिए खेत की तैयारी कैसे करनी है।

चीकू का खेत तैयार करने की प्रक्रिया

● खेत तैयार करने के लिए सबसे पहले आप अच्छी तरह से दो से तीन बार खेत की गहरी जुताई कर दें।
● इसके बाद आपको पाटा चलाकर जमीन को समतल कर देना है।
● बीजों की बुवाई के लिए खेत में निश्चित दूरी पर गड्ढे करें।
● ध्यान रहे कि आपको पंक्ति में यह गड्ढे करना है।
● खेत में पौधों से पौधे की दूरी 20 x 20 रखें, वही पंक्ति से पंक्ति की दूरी 4.5 से 6.5 मीटर के बीच रखनी चाहिए।
● बीजों की बुवाई करने से पहले आपके द्वारा किए गए गद्दे में देसी खाद और उसमें थोड़ी रासायनिक खाद डालकर अच्छी तरह से मिट्टी में मिला दें।
● इसके बाद हल्की सी सिंचाई करने के साथ ही चीकू की खेती के लिए खेत तैयार हो जाएगा।

उपयुक्त मिट्टी

विभिन्न प्रकार की मिट्टी में चीकू की खेती (sapota farming) की जा सकती है। चीकू की अच्छी उपज हासिल करने के लिए बलुई दोमट मिट्टी व काली मिट्टी चीकू की खेती के लिए सबसे अच्छी मानी गई है। इन दोनों की मिट्टी में चीकू के पौधे का विकास व उत्पादन अच्छी तरह से होता है। ध्यान रहे कि जिस मिट्टी में आप चीकू (chiku fruit) के बीजों की बुवाई कर रहे हैं, उसमें जल निकासी की व्यवस्था अच्छी होनी अनिवार्य है। यदि मिट्टी में जल भराव होता है तो यह आपकी खेती के लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है। बुवाई से पहले आप अपने खेत की मिट्टी का पीएच मान भी जरूर चेक करवा लें। चीकू की खेती के लिए मिट्टी का पीएच मान 5 से 8 के बीच होना चाहिए।

मौसम एवं जलवायु

किसी भी फल या सब्जी की खेती के लिए तापमान व जलवायु बेहद ही मायने रखती है। इसलिए आपको चीकू की खेती करने से पहले इसके अनुकूल वातावरण व जलवायु के बारे में जानकारी होनी जरूरी है। चीकू की खेती के लिए आद्र शुष्क जलवायु को श्रेष्ठ बताया गया है।
आद्र शुष्क जलवायु में पौधे तेजी से बढ़ते हैं। तापमान की बात करें तो चीकू के पौधों के लिए 10 डिग्री सेल्सियस से 35 डिग्री सेल्सियस तक का तापमान अच्छा होता है। इस तापमान में पौधे का विकास तेजी से होता है। चीकू का पौधा 40 डिग्री सेल्सियस तक के तापमान में जीवित रह सकता है, लेकिन इससे ज्यादा तापमान होने की स्थिति में पौधे को क्षति पहुंचती है।

चीकू की उन्नत किस्में (Chiku special varieties)

● क्रिकेट बॉल
● कालीपट्टी
● कलकत्ता राउंड
● कीर्तिभारती
● द्वारापुडी
● पाला
● पीकेएम-1
● जोन्नावलसा I और II
● बैंगलोर
● वावी वलसा
● बारामसी
● डीएचएस-1
● डीएचएस-2
● गंधेवी बराड़ा
● बहारू

राज्यों की जलवायु के अनुसार उगाई जाने वाली किस्में

1. आंध्र प्रदेश- क्रिकेट बॉल, कालीपट्टी, कलकत्ता राउंड, कीर्तिभारती, द्वारापुडी, पाला, पीकेएम-1, जोन्नावलसा I और II, बैंगलोर, वावी वलसा
2. कर्नाटक- क्रिकेट बॉल, कालीपट्टी, कलकत्ता राउंड, डीएचएस-1, डीएचएस-2
3. तमिलनाडु – पाला, क्रिकेट बॉल, गुथी, सीओ 1, सीओ 2, पीकेएम-1 बारामासी
4. पश्चिम बंगाल – क्रिकेट बॉल, कलकत्ता राउंड, बारामसी, बहारू, गंधेवी बराड़ा
5. गुजरात – कालीपट्टी, पिलीपट्टी, क्रिकेट बॉल, PKM-1
6. महाराष्ट्र – कालीपट्टी, ढोला दीवानी, क्रिकेट गेंद, मुरब्बा
7. ओडिशा – क्रिकेट बॉल, कालीपट्टी
8. बिहार- बारामसी
9. उत्तर प्रदेश – बारामासी

बुवाई का समय और विधि

बुवाई से पहले आपको चीकू के बीज (Chiku seeds) का उपचार कर लेना चाहिए। आप बीजों को सबसे पहले 4 से 5 घंटे के लिए साफ पानी में भिगो दें। इसके पश्चात ट्राइकोडर्मा और वीटावैक्स (कार्बोक्सिन) से आप बीजों को उपचारित कर सकते हैं। इसके साथ ही बीज उपचारित करने के लिए आप राइजोबियम कल्चर का भी उपयोग कर सकते हैं। चीकू की खेती के लिए बुवाई हेतु सबसे उपयुक्त समय सितंबर का अंतिम सप्ताह से अक्टूबर का पहला सप्ताह तक माना गया है। बुवाई का यह समय वर्षा आधारित क्षेत्र के लिए है। वही सिंचित क्षेत्र के लिए बुवाई अक्टूबर के दूसरे पखवाड़े से नवंबर के पहले सप्ताह तक पूरी हो जानी चाहिए।

सिंचाई

बीज व पौधा रोपित होने के तुरंत बाद ही आपको पहली सिंचाई कर देनी चाहिए। इसके बाद तीसरे दिन भी एक हल्की सिंचाई आपको देना होगा। चीकू का पौधा स्थापित हो जाने के बाद 10 से 15 दिनों के अंतराल में निरंतर सिंचाई करते रहे। ध्यान रहे कि सर्दियों में 30 दिनों के अंतराल पर आपको चीकू के पौधों की सिंचाई करनी होगी, वहीं गर्मी में 15 दिनों के अंतराल से सिंचाई करें।

खाद एवं उर्वरक

चीकू के अच्छे उत्पादन के लिए आपको खाद व उर्वरकों की आवश्यकता होगी। जब आप पौधों और बीजों की रोपाई करते हैं उसी समय खेत तैयार करने के दौरान गड्ढों में मिट्टी के साथ सड़ी गोबर की खाद व एनपीके को अच्छी तरह से मिला देना चाहिए। ध्यान रहे की गोबर की खाद एक से दो वर्ष पुरानी होना चाहिए। पौधा व बीज रोपित करने के 2 वर्ष तक आपको कम मात्रा में उर्वरक देना है, लेकिन जैसे-जैसे पौधा बढ़ता चला जाता है, वैसे-वैसे खाद व उर्वरकों की मात्रा भी बढ़ा देनी चाहिए।

निराई-गुड़ाई

चीकू के पौधों (sapota plants) के साथ ही खेत में कई सारे खरपतवार भी पनप जाते हैं। ऐसे में आपको बीच-बीच में खेत की निराई-गुड़ाई करनी चाहिए। इस दौरान आपको हाथों से खरपतवार को हटाना चाहिए, जिससे कि चीकू के पौधों को नुकसान ना पहुंचे। खरपतवार के नियंत्रण के लिए आप ब्रोमासिल व यूरोन का इस्तेमाल कर सकते हैं।

फसल में रोग और उनकी रोकथाम

● पत्ती का धब्बा
● कली की सुंडी
● कालिखयुक्त फफूंद
● एंथ्राक्नोस

1). पत्ती का धब्बा: यदि पौधों में पत्तों पर धब्बा रोग लगता है तो इसे नियंत्रित करने के लिए आपको कॉपर ऑक्सीक्लोराइड का छिड़काव करना चाहिए। इससे आप इस रोग से निजात पा सकते हैं।

2). कली की सुंडी: यह एक प्रकार का कीट होता है, जो पौधों के लिए काफी हानिकारक है। यह पौधे की वनस्पति को खाकर उसे नष्ट कर देता है। इसे नियंत्रित करने के लिए आप क्विनालफॉस या फेम को पानी में मिलाकर छिड़काव करें।

3). कालिखयुक्त फफूंद: इस बीमारी की वजह से तने का गलना प्रारंभ हो जाता है। इस बीमारी से निजात पाने के लिए आप कार्बेन्डाजिम या Z-78 को पानी में मिलाकर इसका छिड़काव करें।

4). एंथ्राक्नोस: इस बीमारी के पौधे में लगने से पत्तों पर भूरे रंग के धब्बे पड़ जाते हैं। इस बीमारी से छुटकारा पाने के लिए कॉपर ऑक्सीक्लोराइड या एम-45 को पानी में मिलाकर छिड़काव करें।

कटाई / तोड़ाई

चीकू की बीजों की बुवाई होने के 7 से 10 साल के पश्चात इसमें फल आना शुरू हो जाते हैं। वहीं यदि आप चीकू के पौधों को रोपित करते हैं, तो 4 से 7 साल में आपको पौधे पर फल देखने को मिल जाएंगे। चीकू की फसल तुड़ाई का बेहतर समय जुलाई से सितंबर महीने को बताया गया है। चीकू के पौधे में फूल आने के 6 से 8 महीने के बाद फल पकाना प्रारंभ हो जाते हैं। उस समय चीकू की तुड़ाई की जाती है, जब वह भूरे और थोड़े से नरम हो जाते हैं। यदि चीकू फल पर हरे रंग का कोई ऊतक दिखाई ना दे तो यह तुड़ाई के लिए तैयार हो गई है।

FAQ

Q.1 चीकू के पेड़ की ऊंचाई कितनी होती है?
चीकू का पेड़ अधिकतम 30 मीटर (100 फीट) की ऊंचाई तक बढ़ाने की क्षमता रखता है।

Q.2 चीकू फल आने में कितना समय लगता है?
यदि आप अपने खेत में बीजों की बुवाई करते हैं तो फल आने में 7 से 10 साल लगते हैं, जबकि पौधों को रोपित करने में 5 से 7 वर्ष का समय लगता है।

Q.3 चीकू फल का वैज्ञानिक नाम क्या है?
चीकू का वैज्ञानिक नाम मनिलकारा जपोटा है।

Q.4 चीकू की अच्छी उपज के लिए क्या करें?
यदि आप चीकू की खेती से अच्छी उपज चाहते हैं तो आपको सही मात्रा में गोबर की खाद का इस्तेमाल करना चाहिए। गोबर की खाद से चीकू के पौधे को आवश्यक पोषक तत्व मिलते हैं। साथ ही मिट्टी भी अधिक समय तक उपजाऊ बनी रहती है।

Q.5 क्या घर में चीकू का पौधा लगाया जा सकता है?
जी हां! आप घर पर छत, आंगन, बगीचे में चीकू के पौधे को लगा सकते हैं, लेकिन ध्यान रहे कि यदि आप छत पर चीकू का पौधा लगा रहे हैं तो समय-समय पर इसकी कटाई करते रहें। जिससे कि इसका आकार ज्यादा बड़ा ना हो पाए।

About Priyanshi Rao

मेरा नाम प्रियांशी राव है और मैं इस ब्लॉग की संचालक हूं। इस ब्लॉग पर मैं कृषि से जुड़े विषयों पर जानकारी देती है। मैंने कृषि विषय से अपनी पढाई की है और इस वजह से शुरुआत से ही मुझे कृषि से सम्बंधित कार्यों में काफी रूचि रही है। हरियाणा के एक गावं की रहने वाली हूं और उम्मीद करती हूं की मेरे द्वारा दी गई जानकारी किसान भाइयों के बहुत काम आ रही होगी। आप मुझे निचे दी गई ईमेल के जरिये संपर्क कर सकते है।

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