शिमला मिर्च की खेती, इस तरीके से करो तो होगी लाखों में कमाई, देखें शुरू से लास्ट तक की पूरी विधि

Written by Priyanshi Rao

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Shimla Mirch Farming: अगर किसान भाई आप शिमला मिर्च की खेती करना चाहते हो और आपको इसके बारे में जानकारी हासिल करनी है तो आप बिल्कुल सही लेख को पढ़ रहे हैं। शिमला मिर्च की डिमांड पहले के मुकाबले अब मार्केट में काफी ज्यादा है और इसकी कीमत हमेशा काम से कम 40 से ₹50 के बीच में रहती ही है और अगर खुदरा मूल्य में बढ़ोतरी होती है, तो इसकी कीमत 70 से ₹100 प्रति किलोग्राम के बीच भी पहुंच जाती है।

शिमला मिर्च का इस्तेमाल व्यंजन बनाने के अलावा भी अन्य प्रकार की स्वास्थ्य लाभ में भी उपयोग लिया जाता है। आज मैं आपको 60000 से 75000 रुपए के बीच शिमला मिर्च की खेती शुरू करके ऐसे तीन से चार लाख रुपये आप कमा सकते हैं इसके बारे में बताऊंगा। इसीलिए आप लेख को शुरू से लेकर अंतिम तक पढ़े और किसी भी जानकारी को बिल्कुल भी मिस ना करें।

भारत में शिमला मिर्च की खेती का इतिहास

शिमला मिर्च की खेती का इतिहास भारत में प्राचीन है। यह हिमाचल प्रदेश के शिमला जिले से उत्पत्ति के रूप में जानी जाती है। 19वीं सदी में इसकी पहली उत्पादन शुरू हुई थी। शिमला मिर्च की खेती खासकर पहाड़ी क्षेत्रों में होती है। इसके लिए उचित पानी, ऊर्जा, खाद, और देखभाल की जरूरत होती है। इस फसल का व्यापार विश्वव्यापी है और यह खाद्य पकवानों में स्वाद और खुशबू बढ़ाने के लिए प्रयोग होती है। शिमला मिर्च की खेती ने कृषकों को अच्छी मुनाफा दिया है और यह आगे भी महत्वपूर्ण रहेगी।

भारत में शिमला मिर्च की खेती (उत्पादन और सबसे ज्यादा कहां)

शिमला मिर्च की खेती भारत में व्यापक है, प्रमुखतः राजस्थान, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, और हरियाणा में की जाती है। यहाँ पहाड़ी क्षेत्रों में भी इसकी खेती होती है। शिमला मिर्च की खेती से किसानों को अच्छा मुनाफा होता है।

शिमला मिर्च की की खेती के लिए खेत की तैयारी कैसे करें

जैसा कि हमने आपको पहले ही बताया शिमला मिर्च की खेती पहाड़ी और थोड़े ठंडे इलाके में होती है इसीलिए आपको अपने खेत को भी पहाड़ियों के जैसे तैयार करना होगा और वह कैसे होगा इसकी जानकारी नीचे हमने विस्तार से समझाई है।

शिमला मिर्च की खेती करने के लिए खेत को कैसे तैयार करें 

  • खेत की तैयारी के लिए पहले खेत को अच्छे से प्लोट करें और खेत की गहराई को उचित बनाएं।
  • खेत में अच्छी गुणवत्ता वाली कंपोस्ट को डालें।
  • जरूरी मिनरल खनिज जैसे नाइट्रोजन, फॉस्फेट, पोटाश आदि को मिट्टी में मिलाएं।
  • खेत की तैयारी के लिए एक महीने पहले खेत में गोबर का खाद डाल दें, ताकि यह अच्छे से मिल जाए।
  • उचित गुणवत्ता वाले बीज का चयन करें।
  • शिमला मिर्च की बुआई गर्मियों के महीनों में करें, जब मौसम ठंडा न हो।

शिमला मिर्च की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी

शिमला मिर्च की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी में निम्नलिखित गुण होने चाहिए:

  1. पीएच: 6.0 से 7.0 के बीच।
  2. तापमान: 15-25 डिग्री सेल्सियस।
  3. ड्रेनेज: अच्छी ड्रेनेज वाली।
  4. पोषण: उर्वरक संघनन।
  5. प्रकार: बलुई दोमट मृदा उपयुक्त रहती है।

शिमला मिर्च की खेती के लिए मौसम एवं जलवायु

नींबू की खेती के लिए उपयुक्त मौसम और जलवायु निम्नलिखित होते हैं:

  1. उपयुक्त मौसम:
  • शिमला मिर्च के लिए उच्चतम तापमान 20-25 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान 15-20 डिग्री सेल्सियस के बीच अच्छा माना जाता है।
  • स्वस्थ शिमला मिर्च के लिए उचित वर्षा की मात्रा 100 सेमी-150 सेमी होनी चाहिए।
  1. उपयुक्त जलवायु:
  • शीत जलवायु और ठंडा मौसम शिमला मिर्च के लिए अच्छा होता है।
  • शिमला मिर्च की खेती के लिए पर्वतीय जलवायु बेहद उपयुक्त है।
  • खरपतवार, बारिश से पहले और बाद में प्राकृतिक आपदाओं की अभाव रहना चाहिए।

शिमला मिर्च की खेती करने के लिए सही बीज की मात्रा

शिमला मिर्च की खेती के लिए बीज की मात्रा क्षेत्र के भौगोलिक और जलवायु स्थितियों पर निर्भर करती है। आमतौर पर, प्रति हेक्टेयर 400-500 ग्राम के बीज का प्रयोग किया जाता है। बीजों को धूप में सुखा देना उचित होता है। विस्तृत सलाह के लिए स्थानीय कृषि विशेषज्ञों से संपर्क करें।

शिमला मिर्च की उन्नत किस्मे की सूची 

यहां पर शिमला मिर्च की कुछ उन्नत किस्म के बारे में और उनकी विशेषताओं के बारे में भी जान लेते हैं और आप इसके लिए नीचे दिए गए जानकारी को ध्यान से जरूर पढ़ें:

  1. इन्द्रा:

यह शिमला मिर्च की मध्यम ऊंचाई की विशेष किस्म है। मिर्च मोटी और गुदे वाली होती है और उत्पादन 110 क्विंटल तक हो सकता है।

  1. भारत:

इंडो-अमेरिकन हाइब्रिड सीड कंपनी द्वारा विकसित शिमला मिर्च की यह किस्म घने पत्ते और मोटे फलों के लिए प्रसिद्ध है।

  1. बॉम्बे (रेड):

यह जल्दी पकने वाली और लम्बे पौधे वाली किस्म है, जिसके फल गहरे हरे होते हैं। इसकी उत्पादनता 130 से 150 ग्राम के बीच होती है।

  1. पूसा दीप्ती शिमला मिर्च:

यह हाइब्रिड किस्म है जिसकी मिर्चें हरी होती हैं और 70-75 दिनों में पक जाती हैं।

  1. सोलन भरपूर:

इसके फल घंटी नुमा होते हैं और उनकी उत्पादनता 300 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है।

शिमला मिर्च की बुवाई का समय और विधि

शिमला मिर्च की बुवाई निम्नलिखित तरीके से की जा सकती है:

  1. समय:
  • शिमला मिर्च की बुवाई अक्टूबर से फरवरी माह तक की जाती है।
  1. विधि:
  • गहरी खेत तैयार करें।
  • खेत की धरती को झोटें और कोते करें ।
  • पंखुड़ी या पाईप के माध्यम से बुआई करें (30-45 सेमी की दूरी पर 2-3 बीज)।
  • मिट्टी को दबाएं और पानी दें।
  • नियमित रूप से पानी दें और पौधों की देखभाल करें।
  • 60-70 दिनों में पुष्प आएंगे, 80-90 दिनों में मिर्च पकेगी।
  • पकी हुई मिर्चों को रोजाना काटते रहें।

शिमला मिर्च की खेती की सिंचाई 

शिमला मिर्च की खेती में सिंचाई की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। यहाँ कुछ महत्वपूर्ण बातें हैं:

  1. बूंद सिंचाई (Drip Irrigation): पानी को नलिकाओं के माध्यम से पौधों के पास धारित किया जाता है।
  2. ट्रिकल सिंचाई (Trickle Irrigation): छोटे-छोटे इंटरवल पर नलिकाएं रखी जाती हैं, पानी की बचत करता है।
  3. स्प्रिंकलर सिंचाई (Sprinkler Irrigation): उच्च दबाव पर पानी पौधों पर छिड़कने के लिए प्रयोग किया जाता है।
  4. फ्लड सिंचाई (Flood Irrigation): खुदाई या नहरों से पानी को खेत में छोड़ा जाता है।

शिमला मिर्च की खेती के लिए सही मात्रा में खाद एवं उर्वरक

शिमला मिर्च की खेती करने के लिए सही मात्रा में खाद एवं उर्वरक की जानकारी:

  • नाइट्रोजन (N): 60-80 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर (kg/ha)
  • फॉस्फेट (P2O5): 40-60 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर (kg/ha)
  • पोटाश (K2O): 20-40 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर (kg/ha)
  • वर्मीकास्टिंग कंपोस्ट: 10 टन/हेक्टेयर या इससे अधिक
  • ओर्गेनिक खाद: कम से कम 25 टन/हेक्टेयर

शिमला मिर्च की खेत के लिए निराई और गुड़ाई करने की प्रक्रिया

शिमला मिर्च की खेती में निराई और गुड़ाई की प्रक्रिया इस प्रकार होती है:

  1. निराई प्रक्रिया:
  • पौधे की रोपाई के बाद आप थोड़ा बहुत खरपतवार भी समय-समय पर साफ करते रहे।
  • पौधे की रोपाई की बात एक हफ्ते में काम से कम थोड़ा बहुत पानी खेतों में सिंचाई के रूप में देते रहे।
  1. गुड़ाई और संबंधित काम:
  • गुड़ाई का समय उचित विकास के दौरान होता है, जब पौधे 60-70 सेंटीमीटर ऊंचे हो जाएँ।
  • प्रत्येक पौधे के चारों ओर गौड़े का निर्माण करें, जिससे पौधों को सहारा मिले और वे सही तरीके से बढ़ें।
  • गुड़ाई के बाद भी पौधों को नियमित रूप से पानी प्रदान करें।
  • रोगों और कीटों का नियंत्रण।

शिमला मिर्च की खेती में रोग और उनकी रोकथाम

शिमला मिर्च की खेती में कई प्रकार के रोग हो सकते हैं जिनसे उत्पादन प्रभावित हो सकता है। ये रोग पेड़ों को कमजोर कर सकते हैं और उनकी पूरी फसल को नष्ट कर सकते हैं। यहां शिमला मिर्च की मुख्य रोग और उनकी रोकथाम के बारे में कुछ जानकारी दी जा रही है:

  1. डैम्पिंग ऑफ (Damping Off):
  • यह रोग नवजात पौधों को प्रभावित करता है और उनका मरना हो जाता है।
  • इसे रोकने के लिए पौधे की स्थिरता और विकास के लिए सुरक्षा उपायों का पालन करना चाहिए।
  1. बैक्टीरियल विल्ट (Bacterial Wilt):
  • इस रोग में पौधे के बाहरी हिस्से में भूरे रंग के दाग बन जाते हैं और पौधा सुख जाता है।
  • इसे रोकने के लिए शिमला मिर्च के पौधों को व्यावसायिक उपयुक्त पोषण और उचित सीड ट्रीटमेंट के साथ उत्तम प्रकार से आराम देना चाहिए।
  1. फ्रूट रॉट(Fruit Rot):
  • यह फलों को प्रभावित करता है और उन्हें काले रंग का बना देता है।
  • इसे रोकने के लिए पूरे खेत को स्वच्छ रखना चाहिए और नियमित फव्वारा और खाद का उपयोग करना चाहिए।
  1. एंथ्रेक्नोसिस (Anthracnose):
  • इस रोग में पत्तियों पर गहरे नीले रंग के छाले बन जाते हैं और पौधों की गिरावट करते हैं।
  • इसे रोकने के लिए उचित फसल प्रबंधन और बीमारी प्रतिरोधी पौधे चुनना चाहिए।

शिमला मिर्च की खेती में कटाई / तोड़ाई

शिमला मिर्च की खेती में कटाई या तोड़ाई का सही तरीका कुछ इस प्रकार होता है:

  1. कटाई (फसल के काटने की प्रक्रिया):
  • शिमला मिर्च की कटाई का समय उसके पूरे विकास और पकने के बाद किया जाता है। मिर्च का पूरा रंग और आकार आ जाने पर ही कटाई का समय होता है।
  • कटाई के लिए एक नॉर्मल फसल कैंडल का उपयोग किया जा सकता है। काटने के लिए एक्सपर्ट टुकड़ा करने वाला इंस्ट्रुमेंट भी उपयोग में लाया जा सकता है।
  • कटाई के दौरान उनके ढक्कन और बीज निकाल दिए जाते हैं ताकि मिर्च एक सही और विशेष आकार में हो।
  • विशेष ध्यान रखना चाहिए कि किसी भी डेमेज्ड, रोगित या अनूठे रंग के मिर्च को न कटा जाए।
  1. तोड़ाई (फसल को तोड़ने की प्रक्रिया):
  • शिमला मिर्च की तोड़ाई भी उसी समय की जाती है जब वे पूरी तरह से पके हों।
  • इसके लिए एक एचडीपी या पेयन के उपकरण का उपयोग किया जा सकता है।
  • तोड़ाई के दौरान ध्यान देना चाहिए कि पूरी फसल एक साथ टूटे, नहीं तो वे डेमेज हो सकते हैं।
  • तोड़ाई के बाद, मिर्चों को संचित करने के लिए ठंडे और सुखे स्थान पर रखें ताकि वे और भी अच्छे स्वाद के हों।

शिमला मिर्च की खेती से कमाई

शिमला मिर्च की खेती के लिए एक एकड़ में लगभग 60 से 70 हजार रुपए की लागत आती है, लेकिन मुनाफा उससे भी अधिक होता है, लगभग 3 से 4 लाख रुपए।

About Priyanshi Rao

मेरा नाम प्रियांशी राव है और मैं इस ब्लॉग की संचालक हूं। इस ब्लॉग पर मैं कृषि से जुड़े विषयों पर जानकारी देती है। मैंने कृषि विषय से अपनी पढाई की है और इस वजह से शुरुआत से ही मुझे कृषि से सम्बंधित कार्यों में काफी रूचि रही है। हरियाणा के एक गावं की रहने वाली हूं और उम्मीद करती हूं की मेरे द्वारा दी गई जानकारी किसान भाइयों के बहुत काम आ रही होगी। आप मुझे निचे दी गई ईमेल के जरिये संपर्क कर सकते है।

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