खरबूजे की खेती कैसे करें, सम्पूर्ण जानकारी, खेत की तैयारी, उन्नत किस्मों की सूची

Written by Priyanshi Rao

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अगर आप एक ऐसे किसान है जो सीजनल खेती (seasonal farming)  करते हैं और सीजनल (seasonal) फसल करके कमाई करना चाहते हैं तो आपके लिए खरबूजे की खेती वरदान साबित हो सकती है। गर्मियों के समय में और बरसात के समय में भी खरबूजे की डिमांड बड़ी मात्रा में रहती है और खरबूज को हमारे देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी ट्रांसपोर्ट किया जाता है।

अगर आप खरबूजे की खेती (melon cultivation) करने के बारे में जानना चाहते हो और इसे करके अच्छा मुनाफा कमाना चाहते हो तो आज आप बिल्कुल सही लेख को पढ़ रहे हो क्योंकि मैं आपको अपने आज की महत्वपूर्ण लेख के माध्यम से खरबूजे की खेती कैसे करें?, melon cultivation in India, melon cultivation in hindi के बारे में कंप्लीट जानकारी देने वाले हैं और साथ ही साथ इससे जुड़ी कई अन्य जानकारी भी आपके लेख में मिलने वाली है। अगर आप खरबूजे की खेती को करने के लिए सीरियस तो तो आप लेख को शुरू से लेकर अंतिम तक पढ़ो और किसी भी जानकारी को बिल्कुल भी मिस ना करो।

खरबूजे का इतिहास

खरबूजा, जिसे अंग्रेजी में “Watermelon” के नाम से भी जाना जाता है और यह लोकप्रिय है स्वाद और स्वास्थ्य लाभ के लिए। यह एक मीठे और ठंडे फल के रूप में मशहूर है, जिसे गर्मियों में खासकर तरह-तरह के तरीकों से खाया जाता है। खरबूजे का इतिहास बहुत पुराना है और यह प्राचीन काल से ही उत्तरी अफ्रीका, भारत, चीन और मध्य एशिया में उगाया जाने वाला फल है।

खरबूजे की खेती का प्रारंभ यकृत के प्राचीन समय से ही हुआ था। यह एक सुराही में पाया गया है, जो प्राचीन ईरानी शहर शुस्तर (Susa) में पायी गई थी, जिसकी आयु करीब 5000 ईसा पूर्व की है। इसके अलावा, खरबूजा मिस्र के प्यारामिड टॉम्ब के पेट में भी देखा जा सकता है, जो करीब 2000 ईसा पूर्व का है।

कई पुरातात्विक खोज ने इस बात को साबित किया है, कि खरबूजा प्राचीन मेसोपोटामिया (जिसे अब इराक कहा जाता है) में भी पाया जाता था। फिर यह उत्तरी अफ्रीका, भारत, चीन और जापान जैसे देशों में भी लोकप्रिय होता गया।

खरबूजे का सेवन ज्यादातर गर्मियों में किया जाता है और इसे फलों के जूस में भी इस्तेमाल किया जाता हैऔर इसके कई सारे गर्मियों में बनाए जाने वाले सेक में भी इस्तेमाल किया जाता है। यह भी एक सेहतमंद फल है जो विटामिन सी, विटामिन ए, पोटैशियम, और लाइकोपीन जैसे महत्वपूर्ण पोषक तत्वों से भरपूर होता है।

आज के समय में, खरबूजा पूरी दुनिया में उगाया जाता है और इसकी कई प्रकार की विविधता होती है, जिनमें सफेद, हरा, गुलाबी और पीला खरबूजे शामिल हैं। इसे फल के रूप में, जूस के रूप में, और सलाद में भी सर्वाधिक उपयोग किया जाता है। खरबूजे के बीज भी खाए जा सकते हैं और यह स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होते हैं।

भारत में खरबूजे की खेती

भारत में खरबूजे की खेती (melon cultivation in India) एक मुख्य फल और सब्जी फसल के रूप में की जाती है। यह गर्मी के मौसम में प्रमुख रूप से उत्तर भारत में उत्पादित किया जाता है, जहाँ वातावरण और मिट्टी की उपयुक्तता के कारण यह फल उत्कृष्ट गुणवत्ता और परिपक्वता प्राप्त करता है।

खरबूजे की मुख्य खेती के क्षेत्रों में निम्नलिखित हैं

  1. पंजाब, हरियाणा, और उत्तर प्रदेश: ये राज्य भारत में खरबूजे की मुख्य उत्पादक क्षेत्र हैं। यहाँ पर गर्मी के मौसम में खरबूजे की खेती की जाती है।
  2. melon cultivation in Rajasthan: राजस्थान भी खरबूजे की खेती का मुख्य क्षेत्र है, विशेषकर उसके पश्चिमी और मध्य भाग।
  3. melon cultivation in Haryana: हरियाणा भी खरबूजे की खेती का अहम क्षेत्र है, विशेषकर उसके सोनीपत, रोहतक, और पानीपत जिले।
  4. melon cultivation in Uttrakhand: यहाँ भी खरबूजे की खेती होती है, खासकर उसके कुमाउं और गढ़वाल क्षेत्रों में।

खरबूजे के खेत की तैयारी 

खरबूजे की खेती (melon cultivation) को करने के लिए सबसे पहले आपको अपने खेत को तैयार करना अनिवार्य है और आप इसके लिए खेत की मिट्टी को उलट पलट करने वाले हरों के माध्यम से खेत की जुताई करवानी होगीताकि मिट्टी थोड़ी भुरभुरी हो जाए। खेत की जुताई करवाने के बाद थोड़े समय के लिए आप इसे ऐसे ही छोड़े ताकि इसमें हवा वगैरा चली जाए और इसके बाद आपको आगे पानी लगाकर पलेवा कर दिया जाता है, पलेवा करने के कुछ दिन बाद कल्टीवेटर लगाकर खेत की दो से तीन तिरछी जुताई कर दी जाती है।

खरबूजे का खेत तैयार करने की प्रक्रिया

  • kharbuje ki kheti करने के लिए भूमि का चयन करना अनिवार्य है और आप एक ऐसी भूमिका चयन करें जहां पर सिंचाई योग्य सभी प्रकार की सुविधाएं आसानी से उपलब्ध हो।
  • अपने खेत में अच्छे से ऑर्गेनिक खाद वगैरा देकर जमीन को तैयार करने की कोशिश करें ज्यादातर हो सके तो गोबर की खाद वगैरा अपने खेत में खरबूजे की खेती को करने से पहले इस्तेमाल करें।
  • खरबूजे की खेती (kharbuje ki kheti) को करने के लिए सही बीजों का चयन करें और देखें कि कौन से बिच आजकल मार्केट में काफी ज्यादा लोकप्रिय है और उनकी उपज भी काफी अच्छी है।
  • सके उपरांत अपनी सुविधा के अनुसार 4-5 फ़ीट की दूरी पर 2 फ़ीट चौड़ी बेड या क्यरियाँ बना लें यह उपयुक्त दूरी का ध्यान रखें ताकि पौधे का विकास अच्छे से संभव हो सके।
  • खरबूजे की बुवाई के लिए लाइन से लाइन की दूरी 5-6 फ़ीट तथा पौधे से पौधे की दूरी 5-2 फ़ीट प्रयाप्त होती है। बीजों को 2-3 सेमी० गहराई में बोना चाहिए।

खरबूजे की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी

खरबूजे के लिए उपयुक्त मिट्टी उच्च मात्रा में नाइट्रोजन और पोटेशियम की मात्रा अगर हो तो समझ लो मजा ही आ जाए इससे आपकी उपज काफी अधिक देखने को मिलेगी। ज्यादातर खरबूजे लोमी या मिट्टी या लोमी रेतीली मिट्टी में अच्छे से उगते हैं। खरबूजे की उत्तम वृद्धि के लिए मिट्टी का पीएच स्तर 6.0 से 7.5 के बीच होना चाहिए। अच्छी मिट्टी में पौधों को पोषक तत्व उपलब्ध होते हैं और वहाँ सही प्रकार के माइक्रोऑर्गेनिज्म और मेथेन वायुमंडल होता है जो पौधों की वृद्धि के लिए महत्वपूर्ण हैं।

खरबूजे की खेती के लिए मौसम एवं जलवायु

खरबूजे के लिए उपयुक्त मौसम और जलवायु के बारे में निम्नलिखित जानकारी है:

मौसम

  1. उचित तापमान: खरबूजे की खेती के लिए उच्च तापमान की जरूरत होती है, जिसमें दिन में 25-30 डिग्री सेल्सियस और रात में 18-22 डिग्री सेल्सियस का तापमान उचित है।
  2. अच्छी बारिश: सामान्यत: 500-750 मिमी बर्षा प्राप्त होनी चाहिए। इस फसल के लिए अधिक बर्षा कारगर नहीं होती।
  3. धूप की अनिवार्यता: अगर आप खरबूजे की खेती कर रहे हैं तो आपके खेतों में प्रॉपर धूप लगना चाहिए अगर मौसम खराब रहता है तो इसका असर आपके खरबूजे के पौधों पर दिखाई देगा क्योंकि खरबूजे को धूप की अत्यधिक आवश्यकता होती है।

जलवायु

  1. उच्च उर्वरकता: खरबूजे की खेती (kharbuje ki kheti) के लिए उच्च उर्वरकता वाली जलवायु अच्छी मानी जाती है। ध्यान रहे जलवायु का वातावरण जलनाम नहीं होना चाहिए अगर शुष्क है तो यह अच्छा है।
  2. अच्छी सिंचाई: मौसम के बारिश के समय पानी का संचार अच्छे से होना चाहिए, ताकि पानी की जमावट न हो।
  3. केंद्रीय वायुमंडलीय शर्तें: खरबूजे की खेती (kharbuje ki kheti) के लिए शांत वायुमंडल अच्छा होता है, जिससे प्लांट्स को अच्छी तरह से विकसित होने में मदद मिलती है।
  4. अनुकूल मौसम: खरबूजे को सर्दी से बचाने के लिए उचित धरातल की आवश्यकता होती है। इसे ठंडे ठंडे जल से बचाएं और जमीन पर पूरी तरह से सूखने दें।

ध्यान दीजिए- इन सभी परिस्थितियों के साथ खरबूजे की खेती के लिए उचित और सुविधाजनक मौसम और जलवायु की आवश्यकता होती है, ताकि यह फसल अच्छे रूप से विकसित हो सके और अधिक पैदावार दे सके।

खरबूजे की खेती करने के लिए सही बीज की मात्रा

kharbuje ki kheti के लिए सही बीज की मात्रा बुआई के समय विभिन्न कारकों पर निर्भर करती है, जैसे कि विशेष जलवायु, भूमि की उपयुक्तता, बीज की किस्म, उपयोग होने वाले खर्च आदि। खरबूजे के बीजों की मात्रा अक्सर 1 एकड़ के लिए लगभग 1.5 से 2.5 किलोग्राम होती है। यदि आप खरबूजे की अधिक सुगंधित प्रजाति उपयोग कर रहे हैं तो बीजों की मात्रा बढ़ सकती है। यह मात्रा भारी भूमि या अच्छी पोषण स्थिति में उचित हो सकती है।

खरबूजे की उन्नत किस्मों की सूची

यहां पर हमने खरबूजे की खेती को करने के लिए कुछ उन्नत किस्म की एक सूची तैयार की है और आप सूची में से किसी भी प्रकार की उन्नत किस्म की खरबूजे की किस्म का इस्तेमाल बुवाई के लिए कर सकते हैं:

  1. समर वैरिटी (Summer Varieties):
  • पूना मेथी
  • पंजाब स्वीट
  • सुगर क्यूब
  1. विंटर वैरिटी (Winter Varieties):
  • स्नोबाल
  • स्वीट हेरिटेज
  • अर्क्टिक स्वीट
  1. रेड वैरिटी (Red Varieties):
  • रेडलेडी
  • स्वीट स्टार
  • रेड ब्लिस
  1. ग्रीन वैरिटी (Green Varieties):
  • हरी उम्र
  • ग्रीनलैंडर
  • एक्स्प्लोरर
  1. ऑर्गेनिक वैरिटी (Organic Varieties):
  • ऑर्गेनिक स्वीटनेस
  • प्योर ग्रीन
  • बायो ब्लिस

ध्यान दें- यह केवल कुछ उदाहरण हैं और विभिन्न क्षेत्रों में अन्य भी उन्नत खरबूज की कई किस्में हो सकती हैं। खरबूज की खेती में सफलता प्राप्त करने के लिए स्थानीय बाजार, जलवायु और भौगोलिक तत्वों को ध्यान में रखना चाहिए।

खरबूजे की बुवाई का समय और विधि

किसी भी प्रकार की खेती को करने से पहले आप जिस भी प्रकार की खेती या फिर किस चीज की खेती करना चाहते हैं, उसे खेती को करने का सही समय और आपको उसे करने की पूरी विधि मालूम होना अधिक आवश्यक है।

यहां पर हमने खरबूजे की बुवाई का समय और विधि से संबंधित कुछ जरूरी मार्गदर्शन प्रदान किया है और आप नीचे इसके ऊपर दिए गए जानकारी को ध्यान से जरूर करें:

खरबूजे की बुवाई का समय

  • खरबूजे की बुवाई का समय विभिन्न क्षेत्रों और उपजाऊ जलवायु के आधार पर बदल सकता है, लेकिन आमतौर पर इसे गर्म जलवायु के महीनों में किया जाता है।
  • भारत में उत्तरी भारत के क्षेत्रों में, खरबूजे की बुवाई मार्च-अप्रैल के महीनों में की जा सकती है।
  • दक्षिणी भारत में, खरबूजे की बुवाई को अप्रैल-मई के बीच किया जा सकता है।

खरबूजे की बुवाई की विधि

  • खरबूजे की बुवाई के लिए पहले तो एक उचित भूमि का चयन करें। खरबूजे की उचित उत्पादन के लिए जलवायु, मिट्टी का प्रकार, और बीज चुनने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
  • खरबूजे की बुवाई के लिए मिट्टी को अच्छी तरह से तैयार किया जाना चाहिए। मिट्टी को अच्छे गुणवत्ता की खाद और जल सप्लाई के साथ तैयार किया जाना चाहिए।
  • बुवाई के लिए बीज को गहराई में 1 इंच से 5 इंच के अंतराल पर लगाया जाता है।
  • बुवाई के बाद, बीज को धीरे-धीरे पानी दें ताकि वह अच्छे से उफने लगे।
  • समय-समय पर पौधों को उसकी आवश्यकतानुसार पानी दें और कीट-रोग नियंत्रण के लिए उचित उपाय अपनाएं।
  • बुवाई के बाद, खरबूजे को उत्तम फलने के लिए समय-समय पर खाद देना चाहिए।

खरबूजे की खेती की सिंचाई 

खरबूजे की खेती (melon cultivation in hindi) के लिए सिंचाई की विभिन्न विधियां हो सकती हैं, जो इसमें अधिक पैदावार और बेहतर गुणवत्ता की सुनिश्चित करती हैं। यहां कुछ सुझाव दिए गए हैं:

  1. बुआई से पहले सिंचाई (Pre-Planting Irrigation):
  • खरबूजे की खेती में अच्छी पैदावार के लिए, बुआई से पहले भूमि को अच्छे से सिंचाई देना फायदेमंद होता है। इससे भूमि का नमी की स्तर बढ़ता है और खरबूजे के बीज आसानी से और उच्च गुणवचा वाले उगते हैं।
  1. बूंद सिंचाई (Drip Irrigation):
  • खरबूजे की सिंचाई के लिए बूंद सिंचाई (drip irrigation) एक अच्छा विकल्प है। यह जल संसाधन का उपयोग कम करता है और पानी का खर्च भी कम होता है। खरबूजे के पौधों को सीधे पानी की आवश्यकता में जल प्रदान करता है जिससे वे स्वस्थ और पैदावार युक्त होते हैं।
  1. स्थिति अनुसार सिंचाई (Site-Specific Irrigation):
  • विभिन्न भागों में पौधों की सिंचाई की आवश्यकता अलग-अलग हो सकती है, इसलिए स्थिति अनुसार सिंचाई करना फायदेमंद होता है। इसमें भूमि की नमी का स्तर और पौधों की आयु आदि का ध्यान रखा जाता है।
  1. फर्रो सिंचाई (Furrow Irrigation):
  • यह एक अन्य प्रकार की सिंचाई है, जिसमें पानी को खरबूजे की पंक्तियों के पास बनाए गए खराद में पहुंचाया जाता है। यह विशिष्ट रोपण व्यवस्था के लिए उपयुक्त हो सकता है।
  1. बारिश सिमुलेशन और पाइपलाइन सिंचाई (Rainfall Simulation and Pipeline Irrigation):
  • कुछ क्षेत्रों में बारिश सिमुलेशन तकनीक का उपयोग किया जा सकता है, जिससे पौधों को वास्तविक बारिश की तरह पानी मिलता है। पाइपलाइन सिंचाई भी एक उपयुक्त विकल्प हो सकता है।
  1. सिंचाई का समय (Timing of Irrigation):
  • सिंचाई का सही समय चुनना भी महत्वपूर्ण है। खरबूजे की पौधों के लिए धूप से बचाव के लिए रात के समय सिंचाई अच्छी होती है।
  1. प्रकृति के अनुसार सिंचाई (Seasonal Irrigation):
  • मौसम के अनुसार सिंचाई करना भी जरूरी है। शुरुआती विकास और फलन के समय पर पानी की आवश्यकता अधिक होती है।

खरबूजे की खेती के लिए सही मात्रा में खाद एवं उर्वरक

खरबूजे की खेती के लिए सही मात्रा में खाद और उर्वरक निम्नलिखित है:

  1. खाद (Fertilizers):
  • खरबूजे के लिए जमीन में मिश्रित खाद की आवश्यकता होती है ताकि पौधों को सही पोषण मिल सके।
  • न्यूट्रिएंट खाद (NPK Fertilizers): खरबूजे के लिए 60-80 किलो नाइट्रोजन, 40-60 किलो पोटाश, और 40-60 किलो फॉस्फेट की आवश्यकता होती है, खाद की यह मात्रा एक हेक्टेयर जमीन के लिए बताई गई है।
  • उपयुक्त खाद की मात्रा जल्दी से जानने के लिए जमीन की टेस्टिंग करवाना चाहिए। टेस्टिंग के बाद ही सही मात्रा की खाद का निर्धारण करना चाहिए।
  1. उर्वरक (Manures):
  • उर्वरक भी खरबूजे के लिए महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि ये जमीन को मौजूदा खनिजों से भरपूर करते हैं और पौधों को सही तरह के पोषण प्रदान करते हैं।
  • खरबूजे के लिए गोबर का उर्वरक बहुत अच्छा होता है। यह जल्दी से परिणत होता है और पौधों को अच्छा विकास देता है।
  • गोबर का उर्वरक दर लगभग 10-15 टन प्रति हेक्टेयर होना चाहिए।
  • अन्य उर्वरक जैसे की खाद्य अपशिष्ट, निम्बू खाल, खरपतवार आदि भी उपयुक्त हो सकते हैं।
  • साथ ही, सही खाद और उर्वरक का चुनाव जमीन के प्रकार, पूर्व खेती का इतिहास, और स्थानीय जलवायु के आधार पर किया जाना चाहिए। यह सुनिश्चित करेगा कि पौधों को सही मात्रा में पोषण मिलता है और उत्पादन में उच्च दर्जा की उपलब्धि होती है।

खरबूजे की खेती के लिए निराई गुड़ाई की जानकारी

melon cultivation in hindi: खरबूजे की खेती के लिए निराई गुड़ाई की जानकारी निम्नलिखित कदमों में दी गई है:

  1. जमीन की तैयारी:
  • खरबूजे के लिए अच्छी फसल पाने के लिए अच्छी जमीन की आवश्यकता होती है। खरबूजे के लिए उपयुक्त मिट्टी लोमी और निराई वाली होनी चाहिए।
  • इसके लिए, गहराई में लगभग 1 मीटर तक अच्छी निराई गुड़ाई की जानी चाहिए।
  1. बीज बोना:
  • खरबूजे के बीजों को बोने से पहले, निराई गुड़ाई या स्प्रेडर का उपयोग करके जमीन में अच्छे से घोदा जाना चाहिए।
  • यह सुनिश्चित करेगा कि बीज अच्छे से जमीन में सेट हो और अच्छे से उगेगा।
  1. निराई गुड़ाई का तरीका:
  • निराई गुड़ाई को सीधे या सायकलोयीडल तरीके से जमीन में फैलाया जा सकता है।
  • सीधे तरीके में, गाड़ी को जमीन पर चलाकर निराई गुड़ाई की जाती है। सायकलोयीडल तरीके में, एक स्प्रेडर का उपयोग किया जाता है जो गुड़ाई करता है और बीज बोने से पहले सीधे फर्जी करता है।
  1. निराई गुड़ाई का विधान:
  • निराई गुड़ाई के लिए गुड़ाई मशीन का उपयोग किया जा सकता है जो गाड़ी से जुड़ा होता है और जमीन पर चलते समय निराई गुड़ाई करता है।
  • इसके अलावा, स्प्रेडर भी उपयोगी हैं जो बीजों को बोने से पहले निराई गुड़ाई कर सकते हैं।
  1. निराई गुड़ाई की मात्रा:
  • निराई गुड़ाई की सही मात्रा के लिए स्थानीय कृषि विशेषज्ञों से सलाह लेना उत्तम होगा।
  • सामान्य रूप से, हेक्टर के आधार पर लगभग 10 टन/हेक्टेयर की मात्रा मानी जाती है।

खरबूजे की खेती में रोग और उनकी रोकथाम

melon cultivation in hindi: खरबूजे की खेती में कई प्रकार के रोग हो सकते हैं, जो पौधों को प्रभावित कर सकते हैं। ये रोग पेड़ों की वृद्धि और उत्पादन को कम कर सकते हैं। निम्नलिखित कुछ मुख्य खरबूजे के रोग हैं और उनकी रोकथाम के लिए कुछ सुझाव निम्नलिखित हैं:

  1. खरबूजे की जड़ों में डायफ्थेरिया (Damping Off):

रोकथाम: जैविक कीटनाशकों का उपयोग करें जैसे कि ट्राइकोडर्मा विरिडी, पास्टर्यूरिझ़म पेस्टीसाइड आदि। पौधों को उनकी नाशक प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए सुझाए गए जैविक उर्वरकों का भी उपयोग करें।

  1. खरबूजे के पत्तों पर सफेद पट्टियाँ (Powdery Mildew):

रोकथाम: सफेद पट्टियों को हटाने के लिए नीचे के पृष्ठ को गर्म पानी में शैलिक एसिड या पोटाश साबुन मिलाकर पोट करें। फिर पानी से धो दें। केप्टन या सुल्फर युक्त कीटनाशक का भी प्रयोग किया जा सकता है।

  1. खरबूजे के पत्तों पर नीला पट्टा (Downy Mildew):

रोकथाम: नीला पट्टा रोग के लिए, कॉपर युक्त कीटनाशकों का इस्तेमाल करें। इन्हें खरबूजे के पत्तों पर स्प्रे करने से इस रोग को रोका जा सकता है।

  1. खरबूजे के फलों पर रंग बदलना (Fruit Rot):

रोकथाम: फलों की अच्छी वेश्यिकता बनाए रखने के लिए जल्दी से फल को काट लें। फलों को पूरी तरह से सुखा दें और धूप में रखें। इससे फलों पर फफूंदी नहीं लगेगी।

  1. खरबूजे के पौधों पर पत्तियों के पीले हो जाना (Yellowing of Leaves):

रोकथाम: पौधों को उपयुक्त मात्रा में नाइट्रोजन, पोटाश और फॉस्फोरस प्रदान करें। भूमि का पीएच स्तर सही होना चाहिए।

  1. खरबूजे के जड़ों पर सफेद दाग (White Spot on Roots):

रोकथाम: इस समस्या के लिए, उचित ड्रेनेज की सुनिश्चित करें ताकि जल जमा न रहे। जल सिंचाई का सही प्रबंधन करें।

  1. खरबूजे के पौधों पर पत्तों की कालापन (Leaf Blight):

रोकथाम: इस रोग के लिए फुंगिसाइड का प्रयोग कर सकते हैं जैसे कि मेटालैक्सिल या कोपर युक्त कीटनाशक।

खरबूजे की खेती में कटाई / तोड़ाई

kharbuje ki kheti में कटाई या तोड़ाई का तरीका निम्नलिखित हो सकता है:

  1. कटाई (Harvesting):
  • खरबूजे को कटने से पहले, पहले यह सुनिश्चित करें कि वे पूरी तरह से पके हुए हों।
  • कटाई के लिए एक तेज़ और नुकीली काटने वाली चाकू या कटर इस्तेमाल करें।
  • कटाई के लिए खरबूजे को धीरे से काटें, ताकि वे किसी भी टूटने या क्षति के खतरे से बचें।
  • कटाई के बाद, खरबूजों को एक स्थान पर एकत्रित करें और उन्हें धूप में या एक सुखी स्थान पर बिना डिब्बे में रखें।
  1. तोड़ाई (Picking):
  • अगर खरबूजे तोड़ने के लिए पके हैं, तो ध्यान दें कि वे अच्छी तरह से पके हुए हों, और चमकीले हों।
  • खरबूजों को हल्के हाथों से ध्यान से तोड़ें।
  • ध्यान दें कि आप खरबूजों को नाखूनों से नहीं कटते हैं, जिससे कि वे डेमेज हो सकते हैं।
  • तोड़े गए खरबूजों को एक स्थान पर एकत्रित करें और उन्हें एक छिद्रित या वेंटिलेटेड स्थान में रखें।
  1. स्टोरेज (Storage):
  • खरबूजों को ठंडे स्थान पर रखें जैसे कि उन्हें फ्रिज में रखना अच्छा रहेगा, या फिर ठंडे क्षेत्र में जहां उन्हें धूप न मिले।
  • ध्यान दें कि खरबूजे को कभी भी फाइबर या बॉक्स में न रखें, क्योंकि वे किसी रोग के संक्रमण के शिकार बन सकते हैं।
  • अगर आप खरबूजों को बचाना चाहते हैं, तो उन्हें किसी विशेष उपाय से उपयुक्त स्थान पर रखें जैसे कि कोई स्टोरेज जार या खरबूजे के डिब्बे में।

FAQ. 

Q.1 किस किस्म के खरबूजे की डिमांड मार्केट में ज्यादा होती है?

कांटाधारी खरबूज (Cantaloupe) गर्मी के मौसम में अधिक पसंद किया जाता है, खासकर उस भाग में जहां गर्मी काफी अधिक होती है।

Q.2 1 एकड़ क्षेत्र में खरबूजे की खेती  करने के लिए कितनी लागत आती है

अगर आप एक एकड़ भूमि में खरबूजे की खेती करना चाहते हैं तो आपको कम से कम ₹50000 से लेकर के ₹100000 के बीच का न्यूनतम लागत मूल्य लगाना ही पड़ सकता है।

Q.3 बाजार में खरबूजे के बीज का क्या रेट चल रहा है

खरबूजे के बीज का रेट प्रति किलो ₹250 से लेकर के ₹300 के हिसाब से चल रहा है।

About Priyanshi Rao

मेरा नाम प्रियांशी राव है और मैं इस ब्लॉग की संचालक हूं। इस ब्लॉग पर मैं कृषि से जुड़े विषयों पर जानकारी देती है। मैंने कृषि विषय से अपनी पढाई की है और इस वजह से शुरुआत से ही मुझे कृषि से सम्बंधित कार्यों में काफी रूचि रही है। हरियाणा के एक गावं की रहने वाली हूं और उम्मीद करती हूं की मेरे द्वारा दी गई जानकारी किसान भाइयों के बहुत काम आ रही होगी। आप मुझे निचे दी गई ईमेल के जरिये संपर्क कर सकते है।

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