भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मोटे अनाज की खेती करने के लिए देश के किसानों को प्रोत्साहित कर रहे हैं। अब किसानों ने अपने खेतों में मोटे अनाज को उगाना शुरू कर दिया है। बाजरा भी मोटे अनाजों में शामिल है। भारत में प्राचीन समय से बाजरे की खेती (bajre ki kheti in hindi) होती आ रही है। इसका उपयोग रोटी बनाने के लिए किया जाता है। वहीं कई राज्यों में पशुओं को चारा देने के लिए भी बाजरे का इस्तेमाल होता है।
नरेंद्र मोदी के द्वारा मोटे अनाज की पैदावार को प्रोत्साहित करने के बाद किसानों में बाजरा उगाने को लेकर अलग जोश देखने को मिल रहा है। अब कई किसान अपने खेत में बाजरे की खेती करना चाहते हैं। यदि आप भी अपने खेत में बाजरे की फसल को उगाना चाहते हैं, तो इस आर्टिकल को अंत तक जरूर पढ़ें। आगे हम आपको बाजरे की बुवाई से लेकर इसकी कटाई, उपयुक्त मिट्टी, बुवाई की विधि, रोग व उनकी रोकथाम समेत अन्य जानकारी के बारे में बताने जा रहे हैं।
बाजरे का इतिहास
प्राचीन समय से ही बाजरे की खेती की जा रही है, यह सबसे पुरानी खेती में से एक है। कहा जाता है कि बाजरा प्रथम घरेलू अनाज है। बाजरे के इतिहास को देखें तो करीब 5000 वर्ष पूर्व एशिया और अफ्रीका में इसकी खेती की जाती थी। चावल से पहले एशिया में बाजरे की काफी ज्यादा खेती होती थी। इतिहास के अनुसार पूर्व एशिया में सबसे पहले सूखी फसल बाजरा ही थी।
भारत में बाजरे की खेती (उत्पादन और सबसे ज्यादा कहां)
bajre ki kheti in india: भारत में भी काफी पहले से मोटे अनाज बाजरे की खेती को किया जा रहा है। जानकारी के अनुसार, 322-185 ईसा पूर्व से ही बाजरे को उगाया जा रहा है, उस समय मौर्य राजवंश का शासन था। मौर्य राजवंश मौसम के अनुसार अनाज का सेवन करते थे। सर्दियों में बाजरे का खूब सेवन किया जाता था। भारत में सबसे ज्यादा बाजरे की पैदावार की बात करें तो राजस्थान पहले नंबर पर आता है। यहां देश के कुल उत्पादन की 85 फ़ीसदी पैदावार होती है।
खेत की तैयारी
किसी भी फसल की अच्छी उपज के लिए सबसे पहले खेत को अच्छी तरह से तैयार करना होता है। इस दौरान आपको रोगों की रोकथाम, फंगस से बचाव व मिट्टी को उपचारित बनाने के लिए खाद, उर्वरक व कीटनाशक का उपयोग करना होता है। साथ ही खेत की जुताई भी काफी ज्यादा महत्वपूर्ण होती है। आगे आपको बाजरे की खेती के लिए खेत कैसे तैयार किया जाए इसकी जानकारी दी गई है।
- सबसे पहले तो आपको अपने खेत की सफाई करना है, इसमें से आपको खरपतवार को हटा देना है।
- इसके बाद कल्टीवेटर की मदद से एक या दो बार खेत की जुताई कर दें।
- खेत में आवश्यकता के अनुसार पुरानी गोबर की सड़ी हुई खाद को मिट्टी में अच्छी तरह से मिला दें।
- अब एक बार फिर से खेत की जुताई कर दें, जिससे की खाद मिट्टी में अच्छी तरह से मिक्स हो जाएगी
- तीन से चार दिन के बाद जब खेत की मिट्टी सूखने लगे तब आपको रोटावेटर की सहायता से खेत की मिट्टी को भुर-भुरा कर देना है।
- अब खेत को पाटा चलाकर उसे समतल बना दें।
- इस तरह से बाजरे की खेती के लिए आपका खेत तैयार हो जाएगा।
उपयुक्त मिट्टी
बाजरे की खेती (bajre ki kheti) के लिए बलुई दोमट मिट्टी को श्रेष्ठ माना गया है। इसके अलावा मिट्टी का पीएच मान भी काफी मायने रखता है। बाजरे के लिए मिट्टी का पीएच मान 6.5 से 7.5 के बीच होना चाहिए। आपको मिट्टी का चुनाव इस आधार पर भी करना चाहिए कि उसमें जल निकासी अच्छी हो। बलुई दोमट मिट्टी में जल निकासी अच्छी होती है।
मौसम व जलवायु
किसी भी फसल की खेती के लिए क्षेत्र का मौसम और वहां की जलवायु काफी ज्यादा मायने रखती है। यदि आप गलत मौसम व जलवायु के साथ फसल को उगाते हैं तो इससे उसकी गुणवत्ता पर असर पड़ता है। बाजरे की खेती के लिए यदि जलवायु को देखें तो इसके लिए गर्म और शुष्क जलवायु को अच्छा माना गया है। वहीं इसकी खेती के लिए सही तापमान 20 डिग्री सेल्सियस से 30 डिग्री सेल्सियस के बीच होता है। बाजरे की खेती को 40 से 200 सेंटीमीटर तक बारिश वाले क्षेत्र में किया जा सकता है। इसकी खेती अधिकतर बारिश में ही की जाती है, क्योंकि इसकी फसल बारिश के पानी पर ही निर्भर करती है।
बीज की मात्रा
किसी भी फसल में बीजों की मात्रा जमीन व बीजों की गुणवत्ता के आधार पर निर्धारित की जाती है। यदि आप बाजरे की खेती करने जा रहे हैं तो इसके लिए चार से पांच किलोग्राम बीज प्रति हेक्टेयर की बुवाई करनी होगी। ध्यान रहे की बीजों को बुवाई से पहले उपचारित जरूर कर दें।
बाजरे की उन्नत किस्मे
- एचएचबी 67-2.
- सी. जेड. पी 9802.
- आरएचबी 121.
- पूसा 605.
- राज 171.
- आई. सी. एम. एच 356.
- एम एच 169 (पूसा 23)
बाजरे की टॉप 5 उन्नत किस्मों का विवरण
एचएचबी 67-2: बाजरे की यह किस्म सबसे उन्नत किस्मों में से एक है। सबसे पहले इस किस्म की खोज वर्ष 2005 में हुई थी। यह किस्म बेहद ही कम दिनों में ही पक जाती है। करीब 62 से 65 दिनों में यह पककर कड़ी हो जाती है। यह सबसे ज्यादा पैदावार भी देती है।
सी. जेड. पी 9802: बाजरे की यह किस्म भ काफी शानदार है। यह किस्म खाने में काफी स्वादिष्ट होती है। इसकी खोज वर्ष 2002 में हुई थी। 70 से 75 दिनों में यह फसल pak जाती है।
आरएचबी 121: राजस्थान के किसान बाजरे की इस किस्म को ज्यादा पसंद करते हैं। वर्ष 2001 में इसकी खोज हुई थी। 75 से 78 दिनों में ही यह फसल पक जाती है। आप इस किस्म को भी अपने खेत में स्थान दे सकते हैं।
पूसा 605: बाजरे की यह किस्म साल 1999 में खोजी गयी थी। 75 से 80 दिनों में यह किस्म पक जाती है। जिन क्षेत्रों में पानी की मात्रा कम होती हैं वहां भी यह फसल अच्छे से ग्रो कर जाती है।
राज 171: बाजरे की इस किस्म की खोज साल 1992 में हुई थी। मध्यम और सामान्य वर्षा वाले क्षेत्रों के लिए बाजरे की यह किस्म काफी अच्छी मानी गई हैं। अधिकतर मध्यप्रदेश में इस किस्म से फसल को उगाया जाता है। इस किस्म की खोज वर्ष 1992 में हुई जिसकी खासियत इस प्रकार है। 85 दिनों में यह किस्म पक जाती है।
बुवाई का समय और विधि
bajre ki kheti के लिए बुवाई करने का सही समय जुलाई के मध्य से अगस्त के मध्य तक माना जाता है। बुवाई करने से पहले बीजों के बीच दूरी व गहराई के साथ गड्डे को खोद लें। आपको बाजरे की बुवाई में पंक्तियों में 45 से 50 सेंटीमीटर की दूरी और पौधे से पौधे की दूरी 10 से 15 सेंटीमीटर के बीच रखनी चाहिए।
सिंचाई
जब आप bajre ki kheti करते हैं तो आपको इसकी ज्यादा सिंचाई करने की आवश्यकता नहीं होती। इस फसल में अधिक गर्मी को सहन करने की क्षमता होती है। बुवाई के बाद बाजरे की फसल को 3 से 4 बार सिंचाई कर सकते हैं। हालांकि इसके पौधों को अधिक पानी की आवश्यकता होती है, यह पूर्ती बारिश के पानी से हो जाती है। बारिश ना होने की स्थिति में 10 से 15 दिनों के अंतराल में इसकी सिंचाई करनी चाहिए।
खाद व उर्वरक
millet cultivation in india: जब आप बाजरे की खेती के लिए खेत की तैयारी करते हैं, उस समय जुताई के बाद आपको मिट्टी में गोबर के खाद का इस्तेमाल करना चाहिए। बुवाई के समय आप 44 किलो यूरिया और 250 किलो सिंगल सुपर फास्फेट या 97 किलो डीसीए और 9.5 किलो यूरिया प्रति हेक्टेयर की दर से मिट्टी में मिला सकते हैं।
निराई गुड़ाई
Millet Cultivation In India: कुछ फसलें ऐसी होती हैं, जिन्हें निराई-गुड़ाई की जरुरत नहीं होती है। बाजरे की फसल को भी निराई-गुड़ाई की आवश्यकता नहीं होती है। हालाँकि आप खरपतवार नियंत्रण व आक्सीजन के लिए इस प्रक्रिया को कर सकते हैं। आप पहली निराई जमाव के 15 दिन के पश्चात् कर सकते हैं। जबकि दूसरी निराई 35-40 दिन बाद करें।
फसल में रोग और उनकी रोकथाम
- हरी बाली रोग/डाउनी मिल्ड्यू
- एर्गोट
- जंग
- लीफ ब्लास्ट
- स्मट
- कंडुआ
- सफ़ेद लट
- दीमक
- लाल भूड़ली
- मृदुरोमिल आसिता
- चैंपा
इस तरह करें रोगों की रोकथाम
- सबसे पहले तो आपको अपने खेत की गहरी जुताई करना है।
- खेत को तैयार करने से पहले पूर्व फसल के अवशेष और खरपतवारों को नष्ट कर दें।
- समय पर सिंचाई करें।
- गुणवत्ता वाले बीजों की ही बुवाई करें।
- यदि बालियां रोगग्रस्त हो जाएं तो उन्होंने अलग कर दें।
- बुवाई से पहले बीजों को उपचारित करें, आप कवकनाशी या गर्म पानी से बीज को उपचारित कर सकते हैं।
- यदि पौधा कंडुआ रोग से संक्रमित हो जाता है तो आप पौधों के संक्रमित हिस्से को हटा दें।
- यदि पहले आपके खेत में कंडुआ रोग से फसलग्रस्त हुई है तो फसल की बुवाई से बचें।
- पौधे रोगग्रस्त दिखाई देने पर बुवाई के 30 दिन बाद मैंन्कोजेब 2 किलोग्राम या रिडोमिल पानी में मिलकर प्रति हैक्टेयर की दर से छिडकाव करें।
कटाई / तोड़ाई
Millet Cultivation In Hindi: आपको सही समय पर बाजरे की फसल को काटना है। इसकी कटाई का सही समय तब है जब सिट्टे हल्के भूरे रंग के हो जाते हैं। खेत में पौधे सूखने लगें और दाने सख्त हो जाएं। बता दें कि बाजरे की फसल 75-85 दिनों में पक जाती है।
FAQ
Q.1 बाजरे की फसल कितने दिन में तैयार हो जाती है?
आमतौर पर बाजरे की फसल 70 से 90 दिनों के बीच पक जाती हैं, जबकि कुछ फसलें तो 60 से 70 दिनों में ही पककर खड़ी हो जाती हैं।
Q.2 भारत में बाजरा सबसे ज्यादा कहां होता है?
राजस्थान में बाजरे की पैदावार सबसे अधिक होती है, यहां कुल उपज की 85% पैदावार होती है।
Q.3 बाजरे का वैज्ञानिक नाम क्या है?
बाजरे को पेनीसेटम ग्लौकम नाम से भी जाना जाता है।
Q.4 क्या रागी और बाजर एक ही होता है?
नहीं! रागी और बाजरा दोनों ही अलग-अलग अनाज है। दोनों रंग और स्वाद में भी एक-दूसरे से काफी अलग हैं।
Q.5 बाजरे की सबसे अच्छी किस्म कौन सी है?
रासि-1827 को बाजरे की सबसे अच्छी उपज बताया गया है। यह बुवाई के 90 दिनों में पककर तैयार हो जाती है।