दोस्तों अगर आप टमाटर का इस्तेमाल करते हैं या फिर टमाटर की खेती (tomato farming) करना चाहते हैं, तो आपने कुछ दिन पहले यानी कि लगभग 1 साल या फिर 2022-23 के बीच में टमाटर के आसमान छूते भाव को भूल नहीं पाए होंगे। एक समय ऐसा आया था जब टमाटर की कीमत ₹180 प्रति किलो तक हो गई थी। इससे इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है, कि टमाटर की खपत हमारे देश में ही नहीं बल्कि कई बाहरी देशों में भी बड़े पैमाने पर होती है।
टमाटर की खेती
टमाटर एक ऐसी सब्जी है, जिसका इस्तेमाल सलाद से लेकर चटनी बनाने या फिर किसी भी प्रकार के स्वादिष्ट व्यंजन को बनाने में किया ही जाता है। कई सारे किसान भाई तो सिर्फ टमाटर की खेती (tomato farming) को करके ही अच्छा खासा मुनाफा कमाते हैं। आज मैं आपको अपने इस महत्वपूर्ण लेकर माध्यम से टमाटर की खेती कैसे की जाती है? के बारे में पूरी संपूर्ण जानकारी देने वाला हूं और साथ ही साथ इससे संबंधित कई अन्य महत्वपूर्ण जानकारी भी आपके लेख में मिलने वाली है।
भारत में टमाटर की खेती का इतिहास
भारत में टमाटर की खेती (tomato farming in India) का इतिहास बहुत पुराना है और यह एक महत्वपूर्ण सब्जी है जो भारतीय रसोई में व्यापक रूप से प्रयोग की जाती है। टमाटर का नाम विश्वसनीय रूप से स्पेन के अनुभवी समुद्री यात्री और अन्वेषक क्रिस्टोफर कोलंबस से जुड़ा है, जिन्होंने 15वीं सदी में इसे अमेरिका से यूरोप में लाया था। लेकिन भारत में टमाटर की खेती का इतिहास भी विविध और प्राचीन है।
भारत में टमाटर की खेती (tomato farming in India) के लिए प्राचीन साहित्यों में भी साक्ष्य मिलता है। इसकी खेती का वर्णन ‘अर्थशास्त्र’ में भी मिलता है। टमाटर की खेती के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी उपलब्ध है जैसे कि मुघल इतिहास में भी टमाटर की चर्चा है। अकबर के दरबार में टमाटर की खेती का व्यापक रूप से प्रयोग होता था।
किसानों ने भारत के विभिन्न क्षेत्रों में टमाटर की खेती की तकनीकों का अभ्यास किया है और यह उन्हें अच्छी उपज देने में सहायक साबित हुआ है। टमाटर की खेती आज भारत के अनेक हिस्सों में की जाती है और यह एक मुख्य वाणिज्यिक फसल भी है।
वर्तमान समय में भारत में टमाटर की खेती को अधिक उत्तराधिकारी तकनीकों के साथ की जा रही है, जिससे उत्पादन में वृद्धि हो और किसानों को अधिक लाभ मिले। भारत में टमाटर की खेती क्षेत्रीय अलगाव, महसूल के आधार पर प्राथमिकताओं के आधार पर की जाती है।
भारत में टमाटर की खेती (उत्पादन और सबसे ज्यादा कहां)
tomato farming in hindi: सबसे ज्यादा टमाटर की खेती महाराष्ट्र, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, गुजरात, और पंजाब जैसे राज्यों में की जाती है। ये राज्य टमाटर उत्पादन में अग्रणी हैं। महाराष्ट्र के नासिक, पुणे, सातारा, कर्नाटक के बेलगाम, बीदर, उत्तर प्रदेश के मेरठ, मथुरा, गुजरात के अहमदाबाद, राजकोट, और पंजाब के लुधियाना, अमृतसर आदि क्षेत्र टमाटर की मुख्य उत्पादन क्षेत्र हैं।
टमाटर की खेती के लिए खेत की तैयारी कैसे करें
tomato farming in hindi: टमाटर की खेती करने के लिए आपको अपने खेत को उसे योग्य बनना होगा ताकि आप इसका भारी मात्रा में और कर सके और आपको इसके बारे में थोड़ा और विस्तार से समझा देता हूं।
टमाटर की खेती करने के लिए खेत को कैसे तैयार करें
- टमाटर के लिए उपयुक्त भूमि की चयन महत्वपूर्ण है।
- उर्वरक भरपूर मिट्टी चाहिए जिसमें पानी सुरक्षित रूप से निकल सके।
- खेत को अच्छी तरह से जोतना और हराई करना चाहिए।
- खेत की सतह बनी रहेगी और पौधों को उगाने में मदद मिलेगी।
- खाद और उर्वरक का सही मात्रा में उपयोग करें।
- नाइट्रोजन, फॉस्फेट, और पोटाशियम का सही मात्रा में प्रयोग करें।
- उच्च गुणवत्ता वाले टमाटर के बीज का चयन करें।
- उन्नत जाति के टमाटर के बीज का उपयोग करें जो रोग प्रतिरोधी हों।
टमाटर की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी
tomato farming in hindi: टमाटर के लिए उत्तम मिट्टी का pH स्तर 6.0 से 6.8 के बीच होना चाहिए। यह अम्लीयता को नियंत्रित रखता है और पोषक तत्वों के उपलब्धता को सुनिश्चित करता है। टमाटर की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी में पोटाश, फॉस्फेट, और नाइट्रोजन जैसे पोषक तत्वों की उचित मात्रा होनी चाहिए। ये पोषक तत्व पौधों के सही विकास के लिए आवश्यक होते हैं। टमाटर की खेती को करने के लिए तीन प्रकार की मिट्टियाँ होती हैं: बालू (Sandy), मिट्टी (Loamy), और चिकनी मिट्टी (Clayey)। टमाटर के लिए उत्तम मिट्टी की संघटन वाली लोमी मिट्टी होती है, जिसमें बालू, मिट्टी और रेत सब मिश्रित होते हैं। यह मिट्टी पानी को अच्छे से जलने और फिर उसे बनाए रखने में सक्षम होती है।
टमाटर की खेती के लिए मौसम एवं जलवायु
टमाटर की खेती के लिए उपयुक्त मौसम और जलवायु कुछ इस प्रकार हैं:
- मौसम (Weather)
- टमाटर की खेती के लिए उचित मौसम गर्म और सूखे मौसम अधिक उपयुक्त माने जाते हैं।
- टमाटर की खेती को अत्यधिक ठंड से और बर्फीले मौसम से बचाना अनिवार्य है।
- टमाटर के पौधों को अधिक सूर्य की रोशनी की आवश्यकता होती है ताकि वे अच्छे फल दे सकें।
- जलवायु (Climate):
- Tamatar ki kheti के लिए शुष्क और गर्म जलवायु बेहतर होती है।
- इसे शुष्कता और संतुलित वर्षा या पानी पूर्णता की आवश्यकता होती है। ज्यादा पानी से टमाटर के पौधे मर सकते हैं।
- टमाटर की खेती के लिए तापमान 15-30 डिग्री सेल्सियस के बीच रहना चाहिए।
टमाटर की खेती करने के लिए सही बीज की मात्रा
आमतौर पर, Tamatar ki kheti के लिए बीज की सामान्य मात्रा लगभग 250-300 ग्राम प्रति हेक्टेयर होती है। यह मात्रा भारत में अधिक प्रयुक्त होती है। बाकी आप अपने आवश्यकता अनुसार बीज कम या फिर ज्यादा लगा सकते हैं।
टमाटर की उन्नत किस्मे की सूची
यहाँ कुछ उन्नत टमाटर की किस्मों की सूची दी जा रही है जो भारत में उगाई जाती हैं:
- आरोही (Arohee)
- आमूर्या (Amoorya)
- अब्जेक्टर (Abjektor)
- एसएमू 7415 (SMU 7415)
- एसएमू 1015 (SMU 1015)
- एसएमू 1066 (SMU 1066)
- एसएमू 1014 (SMU 1014)
- एसएमू 8255 (SMU 8255)
- एसएमू 9696 (SMU 9696)
- एसएमू 7381 (SMU 7381)
टमाटर की बुवाई का समय और विधि
टमाटर की बुवाई के लिए सही समय और विधि निम्नलिखित तरीके से की जा सकती है:
- समय (Time):
- उत्तर भारत: अक्टूबर से फरवरी
- मध्य भारत: अक्टूबर से नवंबर, और फिर फरवरी से अप्रैल
- दक्षिण भारत: अगस्त से अक्टूबर, और फिर फरवरी से अप्रैल
- विधि (Method):
Tamatar ki kheti को करने की विधि दो तरीके से की जा सकती है, एक तो पहले आप बीज के माध्यम से इसकी खेती कर सकते हैं और दूसरा तरीका है, टमाटर के पौधे को सीधे आप खेत में लगा करके इसकी खेती कर सकते हैं। चलिए दोनों ही विधियों के बारे में नीचे विस्तार से जान लेते हैं।
बिजाई
- बीजों को उगाने के लिए जमीन की तैयारी करें। अच्छी ड्रेनेज वाली और खाद्य युक्त मिट्टी उपयुक्त होती है।
- टमाटर के बीज बोएं और उन्हें 1-2 इंच गहराई में मिट्टी में दबाएं।
- बीज लगाने के बाद थोड़ा-थोड़ा पानी भी साथ में देते चले।
- उगाने के बाद, पानी की देखभाल नियमित रूप से करें और खाद्य युक्त उर्वरक का इस्तेमाल करें।
पौधे से बुवाई (अंकुरित की बुवाई)
- बिजाई के लिए, टमाटर के बीज को अंकुरित करें।
- एक पौधे के लिए एक अलग प्लास्टिक पॉट या खेत की तैयारी करें।
- अंकुरित बीज को धीरे से पॉट में रखें और उसे अच्छे से गहराई में दबाएं।
- उपयुक्त जलवायु और उर्वरक के साथ देखभाल करें।
- ये पौधे अच्छे से उगने के बाद खेत में लगाएं।
सिंचाई
tomato farming in hindi: टमाटर की खेती में सिंचाई एक महत्वपूर्ण कदम है जो उच्च उत्पादकता और अच्छी गुणवत्ता वाले फलों की प्राप्ति में मदद करता है। यहां कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं को ध्यान में रखकर टमाटर की सिंचाई की जा सकती है:
- सिंचाई का समय: टमाटर की सिंचाई के लिए उचित समय बहुत महत्वपूर्ण है। सबसे अच्छा समय सुबह के समय या शाम के समय है। इससे पानी सीधे पौधे तक पहुंच सकता है और पानी का अधिक स्थायीकरण हो सकता है।
- पानी की मात्रा: टमाटर के पौधों को विशेष ध्यान देकर समय-समय पर पानी देना चाहिए। यह पानी की मात्रा पौधों की आयु, मौसम, और मिट्टी की नमी पर निर्भर करता है।
- आधुनिक सिंचाई तकनीक: आधुनिक सिंचाई तकनीक का उपयोग करके पानी की बचत की जा सकती है। बूंद बूंद सिंचाई, ट्रिकल सिंचाई, ड्रिप आईरिगेशन जैसे तकनीकें इसमें उपयोगी हैं।
- मौसम की जांच: मौसम की जांच करना चाहिए क्योंकि बारिश के दौरान सिंचाई की आवश्यकता कम होती है, जबकि गर्मियों में अधिक सिंचाई की जरूरत हो सकती है।
- मिट्टी की नमी का परीक्षण: मिट्टी की नमी का परीक्षण करके सिंचाई की आवश्यकताओं को जाना जा सकता है। मिट्टी अगर ज्यादा नमी वाली है तो सिंचाई की आवश्यकता कम होगी।
- लीच इंफिल्ट्रेशन रेट (LEI): यह एक प्रमुख प्राथमिक एवं स्वायत्त निर्धारित बारिश के संकेतक है, जिसे अधिकांश खेती के निर्माण एवं संचालन में उपयोग किया जा सकता है।
- सुरक्षित सिंचाई का उपयोग: सिंचाई के लिए सुरक्षित और उचित उपकरण का उपयोग करना चाहिए। यह हमेशा सुनिश्चित करेगा कि पानी सही स्थान पर पहुंचता है और पौधों को अधिक नुकसान नहीं पहुंचता।
खाद एवं उर्वरक
टमाटर की खेती (tomato farming in India) के लिए सही मात्रा में खाद और उर्वरक का चयन उस स्थान के मौसम, जलवायु, मिट्टी आदि के आधार पर किया जाता है। यहां कुछ सामान्य दिशा निर्देश दिए जा रहे हैं:
- नियमित खाद और उर्वरक: टमाटर की खेती के लिए नियमित खाद और उर्वरक का उपयोग किया जाना चाहिए।
- कम अधिक खनिज: टमाटर की खेती के लिए ज्यादा नाइट्रोजन और पोटैशियम की खाद नहीं देनी चाहिए, बल्कि फॉस्फेट की खाद को प्राथमिकता देनी चाहिए।
- पोटैशियम और फॉस्फेट: फॉस्फेट (P) और पोटैशियम (K) की खाद टमाटर के प्रमुख उत्पादक होती हैं। इसलिए, खाद में P और K की उचित मात्रा होनी चाहिए।
- पर्याप्त गोबर खाद: गोबर खाद टमाटर के लिए फायदेमंद होती है, इसलिए खेत में गोबर खाद का उपयोग किया जा सकता है।
- मिट्टी की जांच: मिट्टी की परीक्षण के बाद ही उसमें खाद और उर्वरक का चयन करना चाहिए। मिट्टी का pH स्तर और उसमें कमी या अधिकतम खनिजों की जांच करनी चाहिए।
निराई और गुड़ाई करने की प्रक्रिया
टमाटर की खेत की निराई और गुड़ाई करने की प्रक्रिया निम्नलिखित तरीके से होती है:
- निराई (हार्वेस्टिंग):
- टमाटर की खेत को निराई के लिए उचित समय पर चुना जाता है। यह उस समय की चुनौतियों पर निर्भर करता है, जैसे मौसम और फसल की परिपूर्णता।
- निराई के लिए विशेष टमाटर कटर, स्केलर या छुरी का उपयोग किया जाता है। इसके साथ ही विशेष ध्यान देना जरूरी है कि टमाटर को उचित रूप से काटा जाए ताकि वह नुकसान न हो।
- निराई के बाद, टमाटर को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने के लिए ट्रक या किसानों द्वारा उपयोग की जाने वाली विशेष कटरी का उपयोग किया जाता है।
- गुड़ाई (पोस्ट-हार्वेस्ट मैनेजमेंट):
- गुड़ाई टमाटर की सुरक्षित रूप से रखरखाव और बिक्री के लिए महत्वपूर्ण है।
- टमाटर के स्टोरेज के दौरान, ध्यान देना जरूरी है कि वे उचित तापमान, भाप और आवश्यकतानुसार उचित नमी में रहें।
- टमाटर के पैकेजिंग और ट्रांसपोर्टेशन के दौरान, उचित बॉक्स या पैकेज का चयन करना महत्वपूर्ण है ताकि टमाटर ट्रांसपोर्ट के दौरान नुकसान से बच सकें।
- गुड़ाई के दौरान टमाटर की गुणवत्ता को बनाए रखने के लिए उचित देखभाल और स्टोरेज सुनिश्चित की जाती है ताकि उन्हें बाजार में उचित मूल्य पर बेचा जा सके।
टमाटर की खेती में रोग और उनकी रोकथाम
tomato farming in hindi: टमाटर की खेती में कई प्रकार के रोग हो सकते हैं और इन रोगों से बचाव के लिए कई उपाय होते हैं। ये हैं कुछ प्रमुख टमाटर के रोग और उनकी रोकथाम के तरीके:
- डेड डोलर स्पॉट: इसमें पत्तियों पर सफेद रंग के छोटे दाग बन जाते हैं। रोकथाम के लिए बेटिकोनाजोल, क्लोरोथैलोनिल या कैप्तन जैसे फंगिसाइड हो सकते हैं।
- एल्टरनारिया रोट: इसमें पर्याप्त वेतन और स्याही अंडकोश वाले सीड उपयोग करने से रोकथाम किया जा सकता है।
- ब्लाइट: इसमें गोल गोल वस्त्रीय रंग के छोटे दाग बन जाते हैं। इसे रोकने के लिए बेटिकोनाजोल, मेटाराम, या डायक्लॉरोप जैसे फंगिसाइड इस्तेमाल किया जा सकता है।
- फुसारियम या वर्टिसिलियम विल्ड: इन रोगों के लिए टीमेट्रेक्साजोल, क्लोरोथैलोनिल, या कैप्तन जैसे फंगिसाइड का उपयोग किया जा सकता है।
- बैकटीरियल विल्ट: इसके लिए रोग प्रतिरोधी टमाटर की वारियेटी का चयन करना चाहिए।
- इरक्ट वायरस: रोकथाम के लिए संक्रमित पौधों को नष्ट करना चाहिए और स्वास्थ्य पौधों को बचाना चाहिए।
- रूट-नॉक नेमैटोड: इसे रोकने के लिए अच्छे ड्रेनेज वाले खेत, उचित रोटेशन, नेमैटोस्टेट जैसे नेमैटोसाइड का इस्तेमाल किया जा सकता है।
- लीफ मोल्ड: इसे रोकने के लिए सिल्वर माइक्रो फर्टिलाइजर और व्हील कार्बन डायसल्फाईड जैसे फंगिसाइड का उपयोग किया जा सकता है।
- येलो लीफ कर्ल: इसे रोकने के लिए पोटैशियम नित्रेट की छिद्रन युक्तियां और जैविक उर्वरकों का उपयोग किया जा सकता है।
कटाई / तोड़ाई
Tomato Farming In Hindi: टमाटर की खेती में कटाई या तोड़ाई का सही तरीका निम्नलिखित रहता है:
- उपयुक्त समय: टमाटर की कटाई को उसके पूरे परिपक्वता में की जाना चाहिए, जिसे “विवेक” या “पक्षपाती” समय कहा जाता है। इस समय में टमाटर अच्छे स्वाद और उचित आकार में होता है।
- सही उपकरण: टमाटर को काटने के लिए एक एकड़ नाइफ या गर्डनिंग सीजर का उपयोग करें। यह सुनिश्चित करेगा कि टमाटर को सही तरीके से कटा जा सके।
- कटाई की तकनीक: टमाटर को कटने के लिए स्टेम को ध्यान में रखते हुए काटें, जिससे कि पूरी तरह से पके टमाटर को कटा जा सके। टमाटर को स्टेम के करीब आसानी से काटा जा सकता है।
- सुरक्षित स्थान पर रखें: कटे हुए टमाटर को सुरक्षित और साफ जगह पर रखें। टमाटर को सीधे सूर्य के तापमान और भारी बारिश से बचाएं।
- भंडारण: कटे हुए टमाटर को सही तरीके से भंडारित करें। यह उन्हें लंबे समय तक ताजगी और स्वाद में बनाए रखने में मदद करेगा।
FAQ.
Q.1 टमाटर का फल कब तोड़ते हैं?
टमाटर का फल 90 दिनों के अंदर अंदर तोड़ा जाता है।
Q.2 टमाटर को कौन से महीने में लगाना चाहिए?
मई-जून, सितंबर-अक्टूबर और जनवरी फरवरी में लगाना सही रहता है।
Q.3 टमाटर के पौधे की दूरी कितनी होनी चाहिए?
पौधों की औसत दूरी 60 से 70 सेंमी होनी चाहिए।
Q.4 टमाटर के पौधों में खाद कब देनी चाहिए?
टमाटर को रोपण के समय फॉस्फोरस से भरपूर पानी में घुलनशील उर्वरक के साथ खाद दें। पहला फल देखने के बाद 5-10-5 उर्वरक के साथ दोबारा खाद डालें। अंत में, पहले फल की कटाई के बाद आखिरी बार खाद डालें।