Kisan Samachar Cotton Farming – गेहूं की कटाई का काम पुरे देश में चल रहा है और किसान जैसे ही गेहूं की कटाई कर लेते है तो उसके बाद मी कपास की खेती की तैयारियों का समय आ जाता है। देश के कई हिस्सों में तो कपास की बुवाई अब शुरू भी हो चुकी है क्योंकि उन क्षेत्रों में अगेती कपास की खेती की जाती है। लेकिन देश के बाकि हिस्सों में भी अब लगभग 10 से 15 दिन के बाद में कपास की बुवाई शुरू हो जाएगी।
कपास की बुवाई के समय किसानों को बहुत सारी बातों का ध्यान रखना होता है जिससे उनको आगे चलकर कपास की खेती में अच्छीं पैदावार का लाभ मिलता है। जिस खेत में किसान भाई अपणी कपास की खेती शुरू करना चाहते है उस खेत में भी और बुवाई के समय में भी किसानों को बहुत सारी ऐसी बातों का ध्यान रखना होता है जिसका सीधा सम्बन्ध कपास की उपज से होता है। इसलिए चलिए आपको इस आर्टिकल में बताते है की कपास की खेती में शुरुआत में किन किन बातों का ध्यान रखना होता है।
कपास की बुवाई कब की जाती है?
देश के कई हिस्सों में तो अप्रैल का महीना शुरू होते ही कपास की बुवाई कर दी जाती है। इन क्षेत्रों में कपास की बुवाई अग्गेती की जाती है और ये फसल बाजार में भी सबसे पहले आ जाती है। वैसे वैज्ञानिक सिद्धांतों के अनुसार कपास की बुवाई का समय 15 अप्रैल से लेकर 15 मई तक का समय सबसे अच्छा माना जाता है।
देश में मौसम में भी अब काफी बदलाव हो चूका है और जहां पहले गर्मियां काफी देरी से आती थी वहीं अब अप्रैल के खत्म होते होते काफी तेज गर्मी होने लगती है। इस कारण से 15 अप्रैल के आसपास में कपास की बुवाई करना सबसे अच्छा माना जाता है।
खेत की तैयारी ध्यान से करें
कपास की खेती के लिए सबसे जरुरी काम होता है उसके लिए खेत की तैयारी करना। अगर आपने खेत की तैयारी अच्छे से की है तो आपकी फसल में आपको पैसवार भी अच्छी मिलेगी और इसके साथ ही आपकी कपास की फसल में रोगों के लगने का खतरा भी बहुत कम हो जाता है। खेती की तैयारी करने से 5 से 10 दिन पहले ही पुरे खेत में सड़ी हुई गोबर की खाद को छिड़क देना चाहिए। इसके बाद खेत की हैरो से अच्छे से जुताई करनी चाहिए ताकि पूरा खाद मिटटी के अंदर चला जाए।
इसके बाद किसान भाइयों को खेत में अगर नमी की मात्रा कम है तो एक सिंचाई (प्लेव) जरूर करना चाहिए ताकि खेत में बीजों का अनुकरण आएगी चलकर अछ्छे से हो सके। सिंचाई या फिर प्लेव करने के बाद में दो बार अच्छे से जुताई करके फिर पलटा मार कर खेत को दो दिन के लिए छोड़ देना चाहिए। इसके बाद में खेत में बीजों की बुवाई करनी चाहिए।
बीजों का अच्छे से करें उपचार
कपास की खेती में अगर आपको अच्छी पैदावार लेनी है और आप चाहते है की खेत में किसी भी प्रकार के रोगों का प्रकोप ना हो तो इसके लिए आपको कपास के बीजों की बुवाई से पहले ही उपचार करना बहुत जरुरी हो जाता है। बहुत से रोग ऐसे होते है जो बीज के पौधा बनने के समय मिटटी से ही पौधों पर लग जाते है। इसलिए अगर आपने बीजों को अच्छे से उपचारित किया है तो आपकी ये समस्या ख़त्म हो जाएगी।
पौधे से पौधे की दुरी का रखें ध्यान
कपास के कई खेतों में आपने देखा होगा की कॉधे पतले पतले होते है और उनमे फुटाव ज्यादा देखने को नहीं मिलता है। ये समस्या किसानों को तब आती है जब वे पौधे से पौधे की दुरी का ध्यान नहीं रखते है। इसलिए कपास की बुवाई करते समय आपको ये ध्यान रखें है की एक पौधा दूसरे पौधे से लगभग 50 सेमि दुरी पर होना जरुरी है और इसके अलावा एक लाइन की दूसरी लाइन से दुरी लगभग 90 सेमि तक होनी जरुरी है।