Vertical Farming – समय के साथ ही खेती के तौर तरीकों में भी बदलाव आ रहा है। अब किसान अलग-अलग प्रक्रिया से खेती कर रहे हैं। पहले जहाँ अधिक उपज हासिल करने के लिए किसानों को ज्यादा भूमि की जरुरत होती थी, लेकिन अब किसान कम जगह में भी अच्छी उपज हासिल कर अच्छी कमाई कर रहे हैं। यह वर्टिकल खेती की वजह से संभव हुआ है। इस समय किसानों के बीच वर्टिकल खेती तेजी से लोकप्रिय हो रही है, क्योंकि इसे कम स्थान में किया जा सकता है। यदि आप वर्टिकल खेती क्या है इसके बारे में नहीं जानते हैं तो आइये आपको हम विस्तार से इसके बारे में बताते हैं।
वर्टिकल फार्मिंग क्या है?
वर्टिकल फार्मिंग, जिसे खड़ी खेती या ऊर्ध्वाधर खेती भी कहा जाता है। इसे तरह की खेती के अंतर्गत किसान जमीन की सतह पर खेती करने के स्थान पर गमले या पोर्ट को एक के उपर एक जमकर खेती करते हैं। इसके लिए एक ख़ास स्ट्रक्चर तैयार किया जाता है, जिससे की आसानी से इन पौधों को कतार में एक के उपर एक स्थापित किया जाता है। इस तरह की खेती में ज्यादा मिट्टी की भी आवश्यकता नहीं होती है। पौधों में सिंचाई करने की भी अच्छी व्यवस्था वर्टिकल खेती के लिए तियार किये गए सिस्टम में की जाती है। इस खेती को करने के लिए ख़ास प्रकार के पॉलीहाउस तैयार किये जाते हैं।
वर्टिकल खेती के लिए तैयार किये गए पॉलीहाउस में एलईडी प्रकाश व्यवस्था से साथ पौधों को पोषक तत्व देने की व्यवस्था की जाती है। इस खेती में रासायनिक के स्थान पर अधिकतर जैविक उर्वरकों का इस्तेमाल किया जाता है। यह खेती उन स्थानों के लिए और भी महत्वपूर्ण हो जाती है जहाँ भूमि पर खेती करने के लिए कठिन परिस्थिति होती है। वर्टिकल खेती को करने के लिए मुख्य तौर पर तीन तकनीक, हाइड्रोपोनिक्स, एरोपोनिक्स और एक्वापोनिक्स का प्रयोग किया जाता है।
वर्टिकल फार्मिंग का इतिहास
वर्टिकल खेती के इतिहास के बारे में बात करें तो यह काफी पुराना है, लेकिन पिछले कुछ वर्षों से यह अधिक चलन में आ गया है। इस प्रकार की खेती का इस्तेमाल सबसे पहले वर्ष 1915 में गिल्बर्ट एलिस बेली ने किया था। उन्होंने इस खेती पर किताब भी लिखी थी।
वहीँ स्वीडिश के एक किसान ओल्सन ने वर्ष 1980 के समय वर्टिकल खेती कर सब्जियों को उगाया था। उन्होंने बढ़ते पौधों के लिए एक सर्पीले आकार की रेल प्रणाली को बनाया था। वर्ष 1999 में प्रोफेसर डिक्सन डेस्पोमियर ने भी ऊर्ध्वाधर खेती के बारे में विचार किया था। उन्होंने सोचा था कि भोजन को ऐसे स्थानों पर उगाना चाहिए जहाँ पर इसकी खपत होती है, इससे समय और परिवहन समय में कमी आती है।
वर्टिकल खेती के प्रकार
हाइड्रोपोनिक्स तकनीक: वर्टिकल फार्मिंग को हाइड्रोपोनिक्स तकनीक के माध्यम किया जाता है। इसके अंतर्गत पानी में पोषक तत्त्वों को घोला जाता है। एक पाइप के माध्यम से इस पानी को समय-समय पर बहाया जाता है, जिससे पौधों को पौषक तत्व मिलते हैं। इस तकनीक में पर्लाइट, मिट्टी के छर्रों, कोकोपीट, काई या वर्मीक्यूलाइट का उपयोग करके उगाया जाता है।
एरोपोनिक्स: आप वर्टिकल फार्मिंग को एरोपोनिक्स तकनीक की मदद से भी कर सकते हैं। इस तकनीक के अंतर्गत जड़ें हवा में लटकी रहती हैं और पौधे बिना मिट्टी के आर्द्र वातावरण में बढ़ते हैं। इस प्रक्रिया में पौधों की जड़ों पर पानी और जरूरी पोषक तत्त्वों के घोल का छिड़काव किया जाता है।
एक्वापोनिक्स: वर्टिकल फार्मिंग में तीसरा प्रकार एक्वापोनिक्स तकनीक है। इसके अंतर्गत एक बंद प्रणाली के अंदर हाइड्रोपोनिक्स और जलीय कृषि की जाती है। इसमें टीन मुख्य घटक मछलियाँ, पौधे और बैक्टीरिया होते हैं। इस प्रक्रिया में पौधों और मछलियों के बीच एक सहजीवी संबंध होता है यानी मछली का मल पौधों के लिये उर्वरक के रूप में कार्य करता है, वहीँ पौधे मछली हेतु जल को साफ करते हैं। इस तकनीक में पौधे और मछली एक दूसरे पर आश्रित रहते हैं।
वर्टिकल खेती के फायदे
अधिक उत्पादन: वर्टिकल खेती में आप कम स्थान पर भी अधिक उत्पादन कर सकते हैं। इसमें फसलों को ऊंचाई के अनुसार उगाया जाता है, जिस वजह से उत्पादन ज्यादा होता है।
बिना मिट्टी के कर सकते हैं खेती: खेती की इस प्रक्रिया में आप बिना मिट्टी के ही सफलतापुर्वक फसल का उत्पादन कर सकते हैं। सिर्फ पानी और जरूरी पोषक तत्वों की मदद से वर्टिकल खेती की जा सकती है।
कम जमीन का उपयोग: वर्टिकल खेती में फसलों को ऊंचाई के साथ उगाया जाता है, जिस वजह से कम जमीन का उपयोग होता है। जिन क्षेत्रों में उपजाऊ जमीन की कमी है, ऐसे स्थानों पर यह खेती और भी अधिक उपयोगी हो जाती है।
कम श्रम: कम मेहनत व बेहतर प्रबंधन के साथ आप वर्टिकल खेती को कर सकते हैं। इसके लिए आपको ज्यादा श्रमिकों की भी जरुरत नहीं होती है। यानि यह खेती आपको आत्मनिर्भर भी बनती है और आपकी लागत को भी कम करती है।
रासायनिक खाद का नहीं होता इस्तेमाल: इस खेती को करने के लिए अधिकतर जैविक खाद का ही उपयोग किया जाता है। यह खेती पूर्ण रूप से ऑर्गेनिक तरीके से की जाती है। इसलिए यह लोगों के स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद होती है। बाज़ार में ऑर्गेनिक सब्जियों की डिमांड तेजी से बढ़ रही है।
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Prem Semwal
psemwal@hotmail.com